भारत लौटने के बाद उन्होंने पारंपरिक तरीकों से हटकर एक ऐसी तकनीक विकसित की जो उनके काम को एक बहुआयामी उपस्थिति देती है।
अब भावना सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं रहीं, वे एक सोच, एक बदलाव की प्रतीक बन चुकी हैं।
उस समय जब लड़कियाँ पारंपरिक रास्तों पर चलने की सोच के साथ आगे बढ़ रही थीं, निधि ने समाज की सीमाओं को चुनौती देते हुए कला को अपना क...
इस क्षेत्र में शुरुआत आसान नहीं थी। उनके आस-पास जो थे, वे किसी न किसी लोग फ़िल्म स्कूल से प्रशिक्षित थे और हर मायने में उनसे बेहतर...
बस्तर के राजगुरु परिवार से ताल्लुक रखने के बावजूद डॉ. रश्मि ने अपनी पहचान वंश से नहीं, बल्कि अपने कर्म और सेवा से बनाई।
पूजा ओझा ऐसी खिलाड़ी हैं, जिन्होंने अपनी गरीबी और विकलांगता को अपने सपनों की राह में रुकावट नहीं बनने दिया।

