सीहोर जिले के इछावर विकासखंड का छोटा सा गांव बिछौली आज महिला सशक्तिकरण का प्रतीक बन गया है। यहां की संगीता मालवीय ने यह साबित कर दिखाया है कि अगर हौसले बुलंद हों, तो सीमित संसाधनों के बावजूद बड़ी सफलता हासिल की जा सकती है।
कभी 25 रुपये की बचत से स्व-सहायता समूह (Self Help Group) से जुड़ने वाली संगीता ने मात्र 6,000 रुपये के पहले ऋण से औषधीय पौधों की खेती की शुरुआत की थी। आज वही संगीता न केवल आत्मनिर्भर हैं, बल्कि हजारों ग्रामीण महिलाओं के जीवन में बदलाव लाने वाली प्रेरणा बन चुकी हैं।
फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी की डायरेक्टर बनीं संगीता
संगीता मालवीय आज एक फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी (FPC) की संचालक हैं, जिसमें 2000 से अधिक किसान जुड़े हैं। यह कंपनी बीज, गेहूं, सोयाबीन और मक्का की खरीदी का कार्य करती है तथा मवेशियों के लिए पौष्टिक आहार का उत्पादन भी करती है। कंपनी का वार्षिक टर्नओवर 5 करोड़ 83 लाख रुपये तक पहुंच गया है, जबकि स्व-सहायता समूह ने पिछले 10 महीनों में 12 लाख रुपये की आय अर्जित की है।
‘लखपति दीदी’ बनाने में अहम भूमिका
संगीता बताती हैं कि उनके समूह से 2000 से अधिक महिलाएं जुड़ी हैं, जिनमें से 1200 महिलाएं अब ‘लखपति दीदी’ बन चुकी हैं। समूह की महिलाएं फसलों के उपार्जन (procurement) का कार्य भी कर रही हैं। पिछले 7 वर्षों के सफर में संगीता ने न केवल अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत की है, बल्कि सैकड़ों महिलाओं को रोजगार और आत्मनिर्भरता की राह पर अग्रसर किया है।
ड्रोन दीदी योजना से तकनीकी सशक्तिकरण
संगीता ने सरकार की ‘ड्रोन दीदी योजना’ के तहत प्रशिक्षण प्राप्त किया है और अब वे ड्रोन उड़ाने का कार्य भी कर रही हैं। इससे वे खेती में आधुनिक तकनीक का उपयोग कर उत्पादन क्षमता बढ़ाने की दिशा में योगदान दे रही हैं।
प्रधानमंत्री से मुलाकात और प्रेरणा का विस्तार
संगीता मालवीय अपनी सफलता की कहानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी बता चुकी हैं। उन्होंने कहा कि स्व-सहायता समूह से जुड़कर उन्हें न केवल आत्मनिर्भरता मिली, बल्कि समाज में अपनी एक अलग पहचान भी स्थापित करने का अवसर मिला।
महिला सशक्तिकरण का उदाहरण
सीहोर की संगीता मालवीय आज इस बात की जीवंत मिसाल हैं कि चूल्हा-चौका तक सीमित रहने वाली ग्रामीण महिलाएं अब घर की चारदीवारी से बाहर निकलकर परिवार और समाज दोनों की आर्थिक सशक्तता में भागीदारी निभा रही हैं।
सन्दर्भ स्रोत : विभिन्न वेबसाइट



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