इंदौर। 18,500 फीट की ऊंचाई पर, माइनस 25 डिग्री तापमान में, जहां शरीर बर्फ की तरह ठंडा हो जाता है और सांसें भी रुकने लगती हैं, वहीं इंदौर की आकांक्षा शर्मा कुटुंबले ने दुनिया की सबसे कठिन पर्वतारोहण चुनौतियों में से एक, माउंट एलब्रूस को फतह किया।
यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एलब्रूस पर चढ़ाई के अनुभव को साझा करते हुए आकांक्षा कहती हैं, "हाथ और पैर की उंगलियां धीरे-धीरे नम होने लगी थीं। चढ़ाई के दौरान खड़ी चढ़ाई और उतराई के दौरान ढलान के कारण हर कदम पर साहस और संकल्प की आवश्यकता थी।"
आकांक्षा, जो पेशे से सिविल इंजीनियर हैं, ने बताया कि वे विश्व के 'सेवन समिट्स' के सदस्य बनने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम बढ़ा चुकी हैं। माउंट एलब्रूस चढ़ाई के बाद, वे अब माउंट एवरेस्ट जैसी चुनौतीपूर्ण चोटियों पर भी चढ़ाई करने की तैयारी में हैं। आकांक्षा ने यह भी बताया कि इस पर्वतारोही यात्रा में वे अकेले ही थीं, क्योंकि उनके ग्रुप के अन्य सदस्य किसी कारणवश यात्रा पर नहीं आ पाए थे।
गाइड की भाषा समस्या के बावजूद, आकांक्षा ने अपनी कठिन यात्रा के दौरान गूगल ट्रांसलेट की मदद से गाइड से संवाद किया। इसके अलावा, माउंटेन सिकनेस (हाई अल्टीट्यूड सिकनेस) का सामना भी उन्हें करना पड़ा, जो कि अधिक ऊंचाई पर ऑक्सीजन की कमी के कारण होता है।
तैयारी: 8 से 10 किलो वजन लेकर दौड़ती थीं आकांक्षा
माउंट एलब्रूस की चढ़ाई के लिए आकांक्षा ने अपनी शारीरिक तैयारी को सख्ती से किया। उन्होंने 8 से 10 किलो का बैगपैक लेकर रनिंग की और जिम में स्ट्रेंथ ट्रेनिंग की। बिल्डिंग की पांचवीं मंजिल पर रहकर, आकांक्षा ने सीढ़ियों की चढ़ाई-उतराई का अभ्यास किया, जो उनके लिए बेहद मददगार साबित हुआ।
आकांक्षा का कहना है कि माउंटेनियरिंग उनका पैशन है। उन्होंने इस क्षेत्र में बेसिक और एडवांस कोर्स भी किए हैं। उनका अगला लक्ष्य विश्व के सभी महाद्वीपों की सबसे ऊंची चोटियों को फतह करना है, जिसमें माउंट एवरेस्ट भी शामिल है।
सन्दर्भ स्रोत/छाया : स्व संप्रेषित
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