खिलाड़ी से अधिकारी बनीं डॉ. शिप्रा,

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खिलाड़ी से अधिकारी बनीं डॉ. शिप्रा,
खेलों में प्रदेश को दिला रहीं नई पहचान

भोपाल। खेल एवं युवा कल्याण विभाग की सहायक संचालक, डॉ. शिप्रा श्रीवास्तव, जिन्होंने एक खिलाड़ी के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी, आज मध्य प्रदेश के खेल विभाग में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभा रही हैं। उन्होंने खेलों को अपना लक्ष्य मानते हुए इस क्षेत्र में ही अपना भविष्य बनाने का निर्णय लिया। उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण ने उन्हें इस क्षेत्र में बड़ी सफलता दिलाई। 

जूडो और शोध में उत्कृष्टता 

शिप्रा ने जूडो खेल में न केवल खुद को सिद्ध किया बल्कि इसके प्रति अपनी लगन और ज्ञान को बढ़ाते हुए जर्मनी से अंतरराष्ट्रीय स्तर की कोचिंग भी हासिल की। उनका कहना है, "खेलों में मुझे बहुत प्यार रहा है, इसलिए मैंने खेलों में ही करियर बनाने का निर्णय लिया।" उत्तर प्रदेश के कानपुर की रहने वाली  शिप्रा ने 2007 में मध्य प्रदेश आने के बाद यहां के विभिन्न शैक्षिक संस्थानों से बैचलर, मास्टर, एम फिल और पीएचडी की डिग्रियां हासिल की। 2016 में जर्मनी के लैपजिग यूनिवर्सिटी में जूडो खेल में इंटरनेशनल कोचिंग कोर्स किया था। 2018 में खेल विभाग में सहायक संचालक के पद पर कार्यरत हैं और कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रही हैं। 

मध्य प्रदेश में वाटर स्पोर्ट्स में बदलाव

आज डॉ. शिप्रा श्रीवास्तव के मार्गदर्शन में मध्य प्रदेश के खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना रहे हैं। राज्य की वाटर स्पोर्ट्स अकादमी में रोइंग, सेलिंग, कयाकिंग और कैनोइंग जैसे खेलों में खिलाड़ी लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। भोपाल को वाटर स्पोर्ट्स के लिए आदर्श स्थल माना जाता है। उन्होंने इस बदलाव की दिशा में किए गए प्रयासों पर कहा, "यहां के तालाबों और सुविधाओं ने वाटर स्पोर्ट्स को एक नई दिशा दी है, जो अब हमारे खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय मंच पर सफलता दिला रही है।"

मध्य प्रदेश में खेलों का भविष्य 

शिप्रा के अनुसार, मध्य प्रदेश में खेलों का बहुत बड़ा स्कोप है और यहां की खेल अकादमियों में खिलाड़ियों को हर साल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने के मौके मिलते हैं। भोपाल में वाटर स्पोर्ट्स अकादमी, घुड़सवारी अकादमी, और शूटिंग अकादमी जैसी उत्कृष्ट संस्थाएं हैं, वहीं ग्वालियर में महिला हाकी अकादमी, जबलपुर में तीरंदाजी अकादमी और महेश्वर में कैनो स्लालम अकादमी जैसी कई प्रमुख अकादमियां संचालित हो रही हैं। शिप्रा श्रीवास्तव का जीवन उनके समर्पण, संघर्ष और सफलता का प्रतीक है। उनके लिए खेल न सिर्फ एक करियर, बल्कि एक जीवनशैली बन चुका है, जो न केवल उनके जीवन को बदलता है, बल्कि मध्य प्रदेश के खेलों को भी एक नई पहचान दे रहा है।

सन्दर्भ स्रोत : नवदुनिया 

सम्पादन : मीडियाटिक डेस्क 

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