बॉम्बे हाईकोर्ट : पति के दोस्त के खिलाफ

blog-img

बॉम्बे हाईकोर्ट : पति के दोस्त के खिलाफ
नहीं हो सकता 498A का मुकदमा

बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक केस की सुनवाई करते हुए कहा कि पति के मित्र पर क्रूरता के लिए भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 498 A तहत कोई मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि पति का मित्र रिश्तेदार की वैधानिक परिभाषा के अंतर्गत नहीं आता है।

दरअसल, 2022 में एक महिला ने उसके प्रति हो रही क्रूरता को लेकर एफआईआर दर्ज करवाई थी। इस एफआईआर में महिला ने आरोप लगाया था कि उसके पति, उसके माता-पिता और उसके पति के दोस्त ने उसके साथ क्रूरता की।

कोर्ट की टिप्पणी

न्यायमूर्ति अनिल पानसरे और न्यायमूर्ति एमएम नेर्लिकर की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि किसी दोस्त को रिश्तेदार नहीं कहा जा सकता क्योंकि वह न तो खून का रिश्तेदार होता है और न ही उसका विवाह या गोद लेने के माध्यम से कोई रिश्ता होता है। कोर्ट ने कहा कि इसलिए सभी तथ्यों पर विचार करने और आईपीसी की धारा 498 ए को स्पष्ट रूप से पढ़ने पर, कोर्ट इस निर्णय पर पहुंचा है कि पति का दोस्त आईपीसी की धारा 498 ए के तहत पति के रिश्तेदार की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आएगा।

दोस्त पर लगाए आरोप

शिकायतकर्ता पत्नी ने एफआईआर में ससुरालजन के साथ-साथ दोस्त के पति पर भी क्रूरता का आरोप लगाया था। दर्ज एफआईआर में महिला द्वारा लगाए गए आरोप में बताया गया कि पति का दोस्त बार-बार ससुराल आता था और उसके पति को पत्नी के पिता से जमीन का एक टुकड़ा और कार मांगने के लिए उकसाता था। महिला ने यह भी आरोप लगाया गया कि उसने पति को अपनी पत्नी के साथ न रहने और मांगें पूरी न होने पर उसे उसके मायके वापस भेज देने के लिए उकसाया करता था।

सर्वोच्च न्यायालय ने रिश्तेदार की थी व्याख्या

इस मामले को लेकर अभियोजन पक्ष ने कोर्ट से ‘रिश्तेदार’ की व्यापक व्याख्या करने का आग्रह किया। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा गया था कि प्रेमिका या एक महिला जिसके साथ शादी करती है, अगर उसका बाहर किसी महिला के साथ शारीरिक संबंध है तो उसे भी धारा 498 ए के तहत रिश्तेदार नहीं माना जा सकता है।

दोस्त के खिलाफ कार्यवाही हुई रद्द

सुप्रीम कोर्ट ने इसी तर्क को लागू करते हुए न्यायालय ने कहा कि एक मित्र को प्रावधान में परिकल्पित रिश्तेदार का दर्जा प्राप्त नहीं होता है। इसलिए कोर्ट ने दोस्त के खिलाफ कार्यवाही रद्द कर दी। कोर्ट ने कहा कि पति और उसके माता-पिता के खिलाफ मामला जारी रहेगा।

Comments

Leave A reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *



इलाहाबाद हाईकोर्ट -लखनऊ बैंच :  विवाहित
अदालती फैसले

इलाहाबाद हाईकोर्ट -लखनऊ बैंच : विवाहित , महिला से शादी न करना अपराध नहीं

हाईकोर्ट ने कहा- विवाहिता के प्रेमी पर दुराचार का आरोप नहीं, निचली अदालत का फैसला सही

हिमाचल हाईकोर्ट : तीसरे बच्चे की मां
अदालती फैसले

हिमाचल हाईकोर्ट : तीसरे बच्चे की मां , बनने के बाद भी मातृत्व अवकाश का हक

मामले में स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत एक स्टाफ नर्स ने हाईकोर्ट में मातृत्व अवकाश को लेकर रिट याचिका दाखिल की थी।

दिल्ली हाईकोर्ट  : अब पति नहीं छिपा पाएंगे सैलरी, पत्नी को कमाई जानने का पूरा हक
अदालती फैसले

दिल्ली हाईकोर्ट : अब पति नहीं छिपा पाएंगे सैलरी, पत्नी को कमाई जानने का पूरा हक

हाई कोर्ट ने कहा है कि पत्नी अपने पति की वास्तविक आय अथवा संपत्ति जानने के लिए गवाह के रूप में बैंक अधिकारियों को बुलाने...

दिल्ली हाईकोर्ट : शादी के बाद माता-पिता अजनबी
अदालती फैसले

दिल्ली हाईकोर्ट : शादी के बाद माता-पिता अजनबी , नहीं, बेटी की प्रताड़ना पर दे सकते हैं गवाही

जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा ने शिकायत दर्ज कराने वाले मृतका के माता-पिता को निजी गवाह बताने की आरोपी व्यक्ति की दलील को खार...