एडवोकेट शन्नो शगुफ्ता खान का नाम सामाजिक न्याय की लड़ाई में अग्रिम पंक्ति में लिया जाता है। वह उन वंचित और पीड़ित वर्गों के लिए उम्मीद की किरण बनकर खड़ी होती हैं, जिनकी आवाज अक्सर न तो समाज सुनता है और न ही व्यवस्था। शन्नो खान ने अपने करियर की शुरुआत 2007 में उन मामलों से की थी जिनमें कोई भी वकील हाथ डालने की हिम्मत नहीं जुटा पाता था। उनकी मुख्य लड़ाई पीड़ित महिलाओं, एसिड अटैक सर्वाइवर्स, ट्रांसजेंडर समुदाय, मजदूर महिलाएं और बेघर परिवारों के लिए रही है।
एचआईवी पीड़िता के मामले से बदली दिशा
शन्नो खान की यात्रा की शुरुआत एक खास घटना से हुई थी जब 2007 में एक गर्भवती महिला को MY हॉस्पिटल ने इलाज देने से मना कर दिया था क्योंकि वह एचआईवी पीड़ित थी। समय रहते इलाज नहीं मिलने के कारण महिला को ऑटो में बच्चे को जन्म देना पड़ा। इस अमानवीय घटना के खिलाफ शन्नो खान ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की और महिला को 3 लाख का मुआवजा दिलवाया। यही वह मोड़ था जिसने शन्नो को समाज के कमजोर वर्गों के लिए खड़ा होने की प्रेरणा दी।
जिनके लिए कोई नहीं, उनके लिए शन्नो
इसके बाद शन्नो ने कई महत्वपूर्ण मामलों में अपनी आवाज उठाई। इनमें 2007 के दंगों में पीड़ित महिलाओं का मामला, एसिड अटैक पीड़िताओं के लिए मुआवजा दिलवाने, और दिव्यांगों के लिए नौकरी के अवसर बनाने जैसे कार्य शामिल हैं। शन्नो खान ने 8 एसिड अटैक पीड़ित महिलाओं को उच्चतम न्यायालय से 5-6 लाख तक का मुआवजा दिलवाया है और अब 10 लाख तक के मुआवजे की मांग कर रही हैं।
उनकी लड़ाई सिर्फ वकील की नहीं, बल्कि इंसानियत की भी है। उन्होंने एक 17 वर्षीय नाबालिग लड़की की मदद की, जिसे राजस्थान में बेचा गया था, उसके साथ रेप हुआ था और बाद में जेल भेज दिया गया था। शन्नो खान ने उसकी याचिका दायर की और उसे मेडिकल राहत दिलवाई।
शन्नो खान का कहना है, "अगर आप सच्चे हैं तो किसी से डरने की कोई बात नहीं है। मैं हमेशा सच के लिए लड़ती रहूंगी।" उनका उद्देश्य सिर्फ इंसानियत के लिए काम करना है, बिना किसी लाभ की उम्मीद के। उनके इस संघर्ष से कई महिलाओं, बच्चों, और वंचित समुदायों को न्याय मिला है और वह आगे भी इस दिशा में काम करती रहेंगी।
सन्दर्भ स्रोत/छाया : शगुफ़्ता खान के फेसबुक अकाउंट से



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