छाया : पूजा गर्ग के फेसबुक अकाउंट से
इंदौर की अंतरराष्ट्रीय पैरा एथलीट पूजा गर्ग ने एक और बड़ा मुकाम हासिल किया है। कैंसर और स्पाइनल इंजरी को मात देकर देश की सरहद पर तिरंगा फहराने वाली पूजा का नाम अब ‘लंदन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ में दर्ज हो गया है।
स्पाइनल इंजरी और कैंसर - दोनों को हराकर रचा इतिहास
पूजा ने उस दर्द और संघर्ष को भी हराया जिसे सुनकर सामान्य मनुष्य डर जाता है। स्पाइनल इंजरी से उबरना ही एक बड़ी चुनौती थी, लेकिन जब कैंसर ने भी उन्हें घेरा, तो उन्होंने उस चुनौती को भी स्वीकार कर, अपने हौसले की तलवार से दोनों को परास्त कर दिया और फिर — वर्ल्ड कैंसर डे पर, सिक्किम स्थित नाथुला पास की दुर्गम यात्रा तय कर न सिर्फ तिरंगा लहराया, बल्कि कैंसर अवेयरनेस का भी सशक्त संदेश देश को दिया। उनका कहना है कि “मैं रुकी नहीं, क्योंकि मैं टूटी नहीं”
अभियान नहीं, जनआंदोलन था यह सफर
पूजा की यह यात्रा केवल व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं थी, यह कैंसर जागरूकता, मानव अधिकारों और विशेष जनों की शक्ति को विश्व के सामने प्रस्तुत करने वाला एक आंदोलन बन गया। इंदौर से नाथुला पास तक की यह यात्रा उन्होंने विशेष रूप से डिजाइन की गई 4-व्हीलर बाइक पर पूरी की, जिसमें उन्हें पार करनी पड़ीं हजारों फीट ऊंचाई, कठिन पहाड़ी रास्ते, ऑक्सीजन की कमी, तेज हवाएं और भीषण ठंड — लेकिन पूजा का हौसला हर चुनौती से ऊंचा निकला।
मिला सम्मान
पूजा को इस अद्वितीय साहसिक कार्य के लिए लंदन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने आधिकारिक रूप से मान्यता दी। वे दुनिया की पहली पैरा महिला बनी, जिन्होंने कैंसर से लड़ते हुए इतनी कठिन और ऊंचाई वाली यात्रा पूरी की।लंदन बुक की आधिकारिक समिति ने इस मिशन को "मानव शक्ति और संकल्प का प्रतीक" बताते हुए पूजा का नाम वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल किया। पूजा की इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने उन्हें विशेष रूप से सम्मानित किया और कहा कि 'पूजा न केवल हमारे देश की शान हैं, बल्कि वह लाखों लोगों के लिए प्रेरणा हैं।' कार्यक्रम में लंदन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के यूके से आए प्रतिनिधि दल के सदस्यों सहित अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साईं) के महानिदेशक एवं अधिकारियों द्वारा भी उन्हें सराहा गया।
हादसे के बाद ऐसे बदला जीवन
2010 में सीढ़ी से गिरने के बाद उनकी स्पाइनल इंजरी की दो सर्जरी हुई। पेट में एक वाटर नॉट थी। डॉक्टरों ने कहा कि इसकी भी सर्जरी करनी पड़ेगी। एक साल बाद इसने एक बड़ी गठान का रूप ले लिया तो इसकी भी सर्जरी करानी पड़ी। चार साल तक पेट में कैथेटर लगा होने के कारण सुप्रापिलिक (पेट के लिए छेद) सर्जरी की गई। गले में नली डालने के दौरान समस्या होने पर गले की सर्जरी की गई। एक बार झुकने के दौरान स्पाइन से लगे पेडिकल टूट गए। इसकी भी दो सर्जरी हुई। चार साल तक बेड पर रहने से बेड सोल (पीठ पर जख्म) हो गए। हिप बोन भी प्रभावित हुई। गर्म सायलेंसर से पैर जल गया। गैंग्रीन हो गया। इसकी भी सर्जरी हुई।
इन खेलों में आजमाया हाथ
सांवेर रोड स्थित शूटिंग क्लब ज्वाइन किया। पिस्टल शूटिंग में पहली बार स्टेट खेलने गई और स्वर्ण जीता। अहमदाबाद में नेशनल अवॉर्ड जीता। पैरा कैनोइंग और कयाकिंग (Para Canoe & Kayaking) में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय उपलब्धि हासिल की। भारत की ओर से दो बार उज्बेकिस्तान और जापान में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व किया। टॉप फोर में एशियन चैम्पियनशिप में भी शामिल रही। अब जून के दूसरे हफ्ते में एशियाई चैम्पियनशिप के लिए थाईलैंड जाना है।
सन्दर्भ स्रोत : विभिन्न वेबसाइट
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