छाया : दैनिक भास्कर
शोध के क्षेत्र में इंदौर ने एक बार फिर देश का नाम रोशन किया है। देवी अहिल्या विवि की प्रो. अंजना जाजू को स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी (अमेरिका) और एल्सेवियर द्वारा जारी विश्व के शीर्ष 2% वैज्ञानिकों में शामिल किया गया है। अंजना के साथ ही डॉ. मुकेशचंद्र शर्मा और UGC-DAE के डायरेक्टर डॉ. वसंत साठे का भी नाम शामिल है।
यह रैंकिंग वैज्ञानिकों के एच-इंडेक्स, शोध पत्रों की संख्या और प्रभाव के आधार पर तय होती है। इसमें कुल 22 विषयों और 174 उप-क्षेत्रों के वैज्ञानिकों का मूल्यांकन किया जाता है। इंदौर के तीनों वैज्ञानिक कंसोर्टियम फॉर साइंटिफिक रिसर्च से जुड़े हैं।
डॉ. अंजना लगातार छह वर्षों से वैश्विक रैंकिंग में
डीएवीवी के बायलॉजी विभाग की प्रमुख डॉ. अंजना को जल-संकट में फसलों की स्थिरता पर शोध के लिए यह सम्मान मिला है। खास बात यह है कि उन्होंने लगातार छठे वर्ष (2020–2025) इस सूची में अपनी जगह बनाई है। इसमें उनके निरंतर योगदान और वैश्विक वैज्ञानिक अनुसंधान में उत्कृष्टता साबित हुई है।
पर्यावरणीय चुनौतियों पर कर रहीं काम
उनका शोध पौध विज्ञान (Plant Sciences) के क्षेत्र में है, जो जलवायु-प्रतिरोधी कृषि पद्धतियों के विकास पर केंद्रित है, विशेष रूप से कम जल उपलब्धता में मक्का और गेहूं की खेती के तरीकों पर। उन्होंने माइक्रोप्लास्टिक के प्रभाव और सूक्ष्म जीवों के माध्यम से उनके अपघटन पर भी महत्वपूर्ण शोध किया है, जो वर्तमान में पर्यावरणीय चिंता का एक बड़ा विषय है। डॉ. जाजू की लगातार वैश्विक उपस्थिति उनके मौलिक और अनुप्रयुक्त पौध जीवविज्ञान (Plant Biology) में बढ़ते प्रभाव को दर्शाती है।
कुलपति ने की सराहना
कुलपति प्रो. राकेश सिंह ने इन वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए कहा कि यह उपलब्धि विश्वविद्यालय को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठा दिलाने वाली है। यह मान्यता विवि की शैक्षणिक और अनुसंधान क्षमता को वैश्विक मंच पर प्रदर्शित करती है। UGC-DAE के डायरेक्टर प्रो. कौस्तुभ प्रयोलकर ने इस उपलब्धि को संस्थान की अनुसंधान संस्कृति, उत्कृष्टता और समर्पण का प्रमाण बताया। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की वैश्विक मान्यता युवा शोधकर्ताओं को प्रेरित करती है कि वे महत्वाकांक्षी वैज्ञानिक लक्ष्यों को प्राप्त करने और समाज व उद्योग में सार्थक योगदान देने की दिशा में काम करें।
सन्दर्भ स्रोत : दैनिक भास्कर



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