छाया : डॉ. स्मिता राशी के फेसबुक अकाउंट से
भोपाल। बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी भोपाल में रिसर्चर और शिक्षाविद के रूप में कार्य कर रहीं डॉ. स्मिता राशी एक पर्यावरणविद् भी हैं और पिछले 13 वर्षों से पर्यावरण संरक्षण के लिए जी जान से जुटी हैं। उनका एक ही मकसद है इस धरती को हरा-भरा रखना और इसके लिए लोगों को जागरूक करना।
प्रकृति से लगाव उन्हें बचपन से ही रहा। दरअसल उनके पिता कृषि विभाग (Agriculture Department) में उच्च पदाधिकारी थे। उनके साथ पूरा परिवार कई बार उद्यानों, जंगलों और प्राकृतिक स्थानों पर जाता था। स्मिता को वह माहौल बहुत लुभाता। घर पर कई तरह के पेड़-पौधे लगे थे, जिनकी देखभाल स्मिता करती, धीरे-धीरे पौधे लगाने, उन्हें संभालने का शौक आगे बढ़ा और वह पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करने लगीं।
बचपन में सीखी ग्राफ्टिंग
स्मिता बताती हैं कि बचपन में पिताजी के साथ पेड़ पौधों के संरक्षण और नए तरीके से ग्राफ्टिंग करके पौधे लगाने की प्रेरणा मिली। मेरी शिक्षा का मुख्य विषय बायोलॉजी था जिसमें बॉटनी में इस प्रकृति प्रेम, वृक्ष प्रेम में और इजाफा किया। मूलतः मध्यप्रदेश के रीवा की रहने स्मिता के लिए वहां के प्राकृतिक स्थान बांधवगढ़, क्योंटी, चचाई जलप्रपात देव कुठार, सतना का भारहूत स्तूप प्रेरणा (Bandhavgarh, Keonti, Chachai Waterfall Dev Kuthar, Bharhut Stupa of Satna inspiration) के कारक रहे। धीरे-धीरे वृक्ष से लगाव पर्यावरण संरक्षण में तब्दील हो गया।
सीड्स बॉल से पौधरोपण
स्मिता अवनी वेलफेयर सोसाइटी (Avni Welfare Society) की संस्थापक सदस्य और राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। डॉ स्मिता सीड्स बॉल बनाकर उनका वितरण करती हैं। वह अब तक इससे पांच लाख से ज्यादा वृक्षारोपण कर चुकी हैं। स्मिता कहती हैं कि उनका 2031 तक 1 करोड़ वृक्षारोपण का लक्ष्य है। पौधरोपण के साथ पक्षी संरक्षण के लिए भी कार्य कर रही हैं। नारियल बॉल से इको फ्रेंडली सकोरे बनाकर निःशुल्क बांटे जाते हैं। वह कहती हैं कि उन्हें विजय गुप्ता, जे सी चंद्रशेखरन, रूपा चंद्रशेखरन, नमिता गुप्ता, शिव पाठक, संजय गुप्ता, आर एन पटेल, अजय जैन का सीड बॉल एवं सकोरे बनाने में योगदान मिलता है। वह लोग गर्मी में सकोरे बनाकर निशुल्क वितरण करते हैं। अब तक 20 हजार सकोरे नि शुल्क बांट चुके हैं।
चुनौतियों से हार नहीं मानी
स्मिता बताती हैं लोगों को पर्यावरण का महत्व समझाना आसान नहीं है। कई बार लोग बात नहीं सुनते, लेकिन प्रकृति प्रेम के आगे सारी परेशानियां कुछ भी नहीं हैं। मैं स्कूल, कॉलेज, संस्थाओं में वर्कशॉप लेकर पर्यावरण के लिए जागरूकता लाने का प्रयास करती हूं। वे कहती हैं कि आपको एक सुरक्षित भविष्य चाहिए, तो पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्य करना ही होगा। पौधरोपण करें और लोगों से भी कराएं, तभी हम एक सुरक्षित भविष्य का निर्माण कर सकते हैं।
मिले हैं कई पुरस्कार
स्मिता के शोध कार्य के लिए उन्हें कैलिफोर्निया, अमेरिका से अंतर्राष्ट्रीय छात्रवृत्ति से सम्मानित किया गया। मप्र में बौद्ध धर्म के प्रभाव पर उनके शोध कार्य के लिए सीसीआरटी, नई दिल्ली से राष्ट्रीय फैलोशिप से सम्मानित किया गया। पर्यावरण, शिक्षा एवं सामाजिक कार्यों के लिए उन्हें भोपाल- रत्न, प्राइड ऑफ एमपी, नारी रत्न सम्मान, शिक्षक सम्मान आदि भी मिल चुके हैं।
संदर्भ स्रोत : पत्रिका समाचार पत्र
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