छाया : राहिला फिरदौस के इंस्टाग्राम पेज से
भोपाल। जीवन में कुछ करने की इच्छाशक्ति हो तो पहाड़ जैसी बड़ी चुनौतियां भी आसान नजर आती हैं। ऐसा ही कुछ जीवन भोपाल की लोकप्रिय क्रिकेटर राहिला फ़िरदौस का रहा है। जब गली में क्रिकेट खेलना शुरू किया तो उसे रोका गया, लेकिन वह रुकी नहीं, बल्कि अपनी इच्छा को दबा कर रखा और जब मौका मिला तो उसने साबित कर दिया कि प्रतिभा को दबाया नहीं जा सकता। आज राहिला राजधानी की बालिकाओं की रोल मॉडल है। मप्र की सीनियर टीम को नेशनल चैंपियन बनाने वाली यह मप्र एकमात्र पहली कप्तान बनी है। अपने प्रदर्शन से वह भारत की सीनियर टीम के दरवाजे पर दस्तक दे रही हैं।
भोपाल में पुराने शहर के शाहजहांनाबाद की रहने वाली राहिला बचपन से गली में क्रिकेट खेला करती थी। एक प्रकार से उन्होंने तभी से क्रिकेटर बनने का सपना देख लिया था, लेकिन क्रिकेट के मैदान तक जाने वाला कोई नहीं था। इसलिए अपने इस सपने को उन्होंने कुछ समय के लिए दबा के रखा और एक बेहतर अवसर का इंतजार करती रही। जब राहिला कक्षा 12वीं में थी तब उन्होंने एक बार फिर क्रिकेट का बैग उठाया और मैदान का रुख किया। यह बात वर्ष 2018-19 की है। एक ही सत्र में राहिला ने जोरदार प्रदर्शन किया और मप्र की अंडर 19, 23 और सीनियर टीम का प्रतिनिधित्व किया। इसके बाद राहिला ने पीछे मुड़कर नहीं देखा तब से वह मप्र की सीनियर टीम की सदस्य है।
बाबे अली मैदान में सेंट माइकल अकादमी के संचालक व प्रशिक्षक सैयद शकील मोहम्मद ने राहिला प्रतिभा को देखकर उन्हें बल्ला और जरूरी खेल सामग्री उपलब्ध कराई थी।
मध्य प्रदेश राज्य महिला अकादमी की प्रशिक्षक अरुण सिंह ने बदली किस्मत
राहिला ने बताया कि शिवपुरी में महिला राज्य क्रिकेट अकादमी में आने के बाद क्रिकेट के लिए मेरा नजरिया पूरी तरह बदल गया। प्रशिक्षक अरुण सिंह ने मेरी बहुत मदद की है। उन्होंने मेरे खेल में सुधार किया और कमियों को दूर करने में मदद की है। उन्हें मेरे खेल पर भरोसा था और मैं हर बार उनकी उम्मीदों पर खरा उतरी हूँ। यहीं से मप्र के लिए लगातार खेल रही हूं। पिछले साल महिला वन-डे नेशनल में मप्र का प्रतिनिधित्व और बाद में कप्तानी करने का अवसर मिला और हमारी पूरी टीम ने शानदार खेल का प्रदर्शन किया और हम चैंपियन बन गए।
भारत के लिए खेलना है लक्ष्य
राहिला ने बताया कि सभी क्रिकेटरों का लक्ष्य अपने देश की टीम का प्रतिनिधित्व करना होता है, इसलिए मेरा लक्ष्य भी भारत की सीनियर टीम के लिए खेलना और पदक जीतना है। इसके लिए मैं बहुत प्रयास कर रही हूँ, जब हम चैंपियन बने थे, तब से मुझे महिला प्रीमियर लीग (डब्ल्यूपीएल) के लिए मुंबई इंडियंस, आरसीबी और दिल्ली कैपिटल्स के कैप में जाने का मौका मिला है। उम्मीद है इस बार महिला प्रीमियर लीग में मौका मिलेगा तो मैं अपना सर्वोत्तम प्रदर्शन करने का प्रयास करूगी।
माँ के संघर्ष ने मजबूत बनाया
माँ रईसा खान ने हम दोनों बहनों की बहुत अच्छे से परवरिश की है। मुझे क्रिकेट पसंद था तो उन्होंने क्रिकेट मैदान तक पहुंचाया। वे मुश्किल समय में हमेशा मेरे साथ खड़ी रही हैं। आज मैं जो कुछ भी हूँ इसमें उनका बहुत बड़ा योगदान है। आज भी वह मेरे करियर को लेकर चिंतित रहती है।
सन्दर्भ स्रोत : नवदुनिया समाचार पत्र



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