• हाईकोर्ट ने रद्द किया उत्पीड़न का आरोप
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दहेज मांगने के मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने विवाहित देवर, दो ननद के खिलाफ दहेज उत्पीड़न का आरोप रद्द कर दिया है। कहा है कि दहेज मांगना अपराध... लेकिन कम दहेज का ताना देना दंडनीय नहीं है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि दहेज मांगना अपराध है पर कम दहेज का ताना मारना दंडनीय नहीं है। यह फैसला न्यायमूर्ति विक्रम डी चौहान की अदालत ने पीड़िता की दो ननद और देवर पर दहेज उत्पीड़न के लगे आरोपों को रद्द करते हुए सुनाया।
मामला बदायूं जिले के बिल्सी थाना क्षेत्र का है। पीड़िता का निकाह सात मई 2017 को शब्बन खान के साथ हुआ था। पीड़िता ने दिसंबर में पति शब्बन खान, सास शाहीदान खान, देवर अच्छे खान, ननद महताब और कुमारी निदा के खिलाफ दहेज उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप लगाया था कि शादी के दौरान पति ने कार की मांग की थी, न दिए जाने पर उसके पति और सभी आरोपियों ने कम दहेज देने का ताना मारते हुए मारपीट कर घर से निकाल दिया। पुलिस ने आरोपपत्र दाखिल किया।
इसके खिलाफ पति समेत सभी आरोपियों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। वर्ष 2018 में ही पति शब्बन की अर्जी हाईकोर्ट ने खारिज कर दी और याचिका लंबित रहने के दौरान सास की मौत हो गई। बाकी याचिकाओं पर विचार करते हुए अदालत ने तीनों पर लगे दहेज उत्पीड़न के आरोप को रद्द कर दिया।
कोर्ट ने कहा कि पीड़िता की ओर से दहेज मांग का लगाया गया आरोप स्पष्ट प्रकृति का नहीं है। मारपीट के आरोप लगाए गए हैं लेकिन कोई मेडिकल रिपोर्ट दस्तावेजी प्रमाण के रूप में मौजूद नहीं है। उत्पीड़न के आरोप सामान्य प्रकृति के हैं। दहेज मांगना अपराध है लेकिन कम दहेज का ताना मारना दंडनीय नहीं है।
संदर्भ स्रोत : अमर उजाला
Comments
Leave A reply
Your email address will not be published. Required fields are marked *