बॉम्बे हाईकोर्ट : आत्महत्या की धमकी देना

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बॉम्बे हाईकोर्ट : आत्महत्या की धमकी देना
तलाक का आधार माना जा सकता है

बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने एक अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने  कहा है कि अगर पति या पत्नी द्वारा आत्महत्या की धमकी देते हैं या आत्महत्या की कोशिश करते हैं तो 'क्रूरता' (Spouse Threatening is Cruel) के बराबर होगा और दूसरा पक्ष इस आधार के तहत तलाक मांग सकता है।

हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच (Aurangabad Bench) के जस्टिस आर एम जोशी ने पिछले महीने अपने आदेश में एक दंपत्ति के विवाह को भंग (Dissolution of marriage) करने संबंधी पारिवारिक अदालत (Family Court) द्वारा पारित आदेश को बरकरार रखा।  इससे पहले एक फैमिली कोर्ट ने पिटीशनर (Petitioner) के पति के पक्ष में तलाक का हुक्म दिया था।  कोर्ट का मानना था कि महिला अपने पति के साथ जुल्म करती थी। महिला ने फैमिली कोर्ट के इसी आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।  

सुसाइड कर परिवार को फंसाने की धमकी

दरअसल, पति ने आरोप लगाया था कि उसकी पत्नी ने उसे हमेशा सुसाइड करके उसके परिवार को फंसाने और जेल भेजने की धमकी देती है। इसे लेकर उसने फैमिली कोर्ट में तलाक की मांग करते हुए याचिका दायर की। उन्होंने अपनी याचिका में  कहा कि यह हिंदू विवाह अधिनियम (Hindu Marriage Act) के प्रावधानों के तहत क्रूरता है।  जिसके बाद कोर्ट ने इस पर गौर किया।

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि पति और अन्य गवाहों द्वारा फैमिली कोर्ट के सामने पेश किए गए सबूत पर्याप्त रूप से यह प्रदर्शित करते हैं कि पति की क्रूरता की दलील साबित होती है। अदालत ने कहा कि शख्स ने न महज यह इल्जाम लगाया है कि उसकी पत्नी उसे और उसके परिवार को आत्महत्या करके जेल भेजने की धमकी देती थी, बल्कि वास्तव में एक बार उसने अपनी जान लेने की भी कोशिश की थी। हाईकोर्ट ने कहा, 'पति या पत्नी की ओर से ऐसा कृत्य इतनी क्रूरता होगी कि यह तलाक का आधार बन जाएगा।'

कोर्ट ने आदेश को रद्द करने से किया इनकार 

कोर्ट ने तलाक देने के फैमिली कोर्ट के आदेश को रद्द करने से इनकार कर दिया और कहा कि इसमें कोई विकृति नहीं देखी गई है, इसलिए इसमें हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है। मामले के मुताबिक, इस जोड़े की शादी अप्रैल 2009 में हुई थी और उनकी एक बेटी भी है। हालांकि, पति ने दावा किया कि उसके ससुराल वाले अक्सर उसके घर आते थे और उसके वैवाहिक जीवन में हस्तक्षेप करते थे। उसने कहा कि 2010 में उसकी पत्नी उसका घर छोड़कर अपने माता-पिता के घर चली गई और वापस लौटने से इनकार कर दिया। वहीं, महिला ने अपनी याचिका में कहा कि उसके पति और उसके पिता ने उसके साथ दुर्व्यवहार किया और इसलिए उसने वैवाहिक घर छोड़ दिया।

सन्दर्भ स्रोत : विभिन्न वेबसाइट

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