राजस्थान हाईकोर्ट : तलाकशुदा महिला घरेलू

blog-img

राजस्थान हाईकोर्ट : तलाकशुदा महिला घरेलू
हिंसा से राहत पाने की हकदार

जोधपुर।  राजस्थान हाईकोर्ट ने घरेलू हिंसा अधिनियम से जुड़े मामले में अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने अपने आदेश में साफ कहा कि तलाकशुदा महिला घरेलू हिंसा से राहत पाने की पूरी हकदार है। बशर्तें वह हिंसा पति पत्नी के साथ रहते हुई हो। 

राजस्थान हाईकोर्ट की मुख्य पीठ जोधपुर के जस्टिस मनोज कुमार गर्ग की बैंच ने घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत तलाकशुदा पत्नि को भी राहत का हकदार मानते हुए अहम और बड़ा आदेश दिया है।  हाईकोर्ट ने इस मामले में याचिकाकर्ता पति की ओर से दायर पुनरीक्षण याचिका को खारिज करते हुए यह आदेश दिया है। 

हाईकोर्ट का मानना है कि जब एक बार घरेलू हिंसा की घटना घटित हो जाती है तो तलाक का आदेश भी दोषी को उसके की ओर से किए गए अपराध से मुक्त नहीं कर सकता। इसके साथ ही वह न ही पीड़िता को घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत मिलने वाली राहत से वंचित कर सकता है।  

जानकारी के अनुसार याचिकाकर्ता ने सेशन न्यायाधीश चूरू की ओर से 4 मार्च 2021 को पारित आदेश के खिलाफ पुनरीक्षण याचिका दायर की थी।  इस याचिका में याचिकाकर्ता ने बताया अपीलीय अदालत ने उसकी अपील को खारिज करते हुए न्यायिक मजिस्ट्रेट सरदारशहर की ओर से 27 सितंबर 2019 को पारित किए गए आदेश को यथावत रखा है।  इस पर सुनवाई करते हुए जोधपुर हाईकोर्ट ने बीते बुधवार को यह फैसला सुनाया। 

याचिकाकर्ता ने अपीलीय अदालत के आदेश को चुनौती दी थी

इसमें घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 के तहत दायर याचिका को स्वीकार करते हुए याचिकाकर्ता को प्रतिवादी पत्नी को मासिक रूप से 3000 रुपये का भत्ता देने का आदेश दिया गया था। याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में इसी अपीलीय अदालत के आदेश को चुनौती दी थी। इस पर हाईकोर्ट ने इस महत्वपूर्ण मामले में सुप्रीम कोर्ट के प्रभा त्यागी बनाम कमलेश देवी मामले में दिए गए निर्णय के संदर्भ में घरेलू हिंसा की परिभाषा के व्यापक दायरे को ध्यान में रखते हुए यह आदेश दिया है। 

घरेलू हिंसा अधिनियम की धारा 12 के तहत आवेदन दाखिल किया जा सकता है 

कोर्ट ने साफ साफ कहा कि तलाकशुदा पत्नी भी घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत राहत पाने की हकदार है। इसके साथ ही अदालत ने इस बात पर भी जोर देते हुए कहा कि अधिनियम के तहत घरेलू संबंध की परिभाषा में एक साथ रहते हुए बिताया गया समय शामिल है न कि केवल वर्तमान तलाक के संबंध। अदालत ने कहा कि भले ही पीड़ित आवेदन दाखिल करने के समय प्रतिवादी के साथ घरेलू संबंध में न हो फिर भी वह घरेलू हिंसा अधिनियम की धारा 12 के तहत आवेदन दाखिल करने की हकदार है।

सन्दर्भ स्रोत : न्यूज18  

Comments

Leave A reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *



पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट : POCSO एक्ट में समझौता मान्य नहीं
अदालती फैसले

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट : POCSO एक्ट में समझौता मान्य नहीं

कोर्ट ने कहा नाबालिगों से यौन शोषण के मामलों में समझौता स्वीकार्य नहीं, दुष्कर्म का मामला रद्द करने से इनकार

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट   : तलाक के बाद पत्नी का दर्जा खत्म, पति की संपत्ति पर नहीं किया जा सकता दावा
अदालती फैसले

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट   : तलाक के बाद पत्नी का दर्जा खत्म, पति की संपत्ति पर नहीं किया जा सकता दावा

पत्नी ने मकान पर किया था कब्जा; सिविल-कोर्ट के आदेश के खिलाफ लगाई याचिका खारिज

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट  : बेटी को भरण-
अदालती फैसले

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट  : बेटी को भरण- , पोषण देना पिता की नैतिक जिम्मेदारी

हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद कहा कि, कॉन्स्टेबल अपनी पिता की जिम्मेदारी से भाग नहीं सकता और उसे अपनी बेटी को भ...

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट : तलाक के सात माह बाद
अदालती फैसले

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट : तलाक के सात माह बाद , दहेज उत्पीड़न का केस, क़ानून का दुरूपयोग

कोर्ट ने कहा -पति-पत्नी के बीच का विवाद आपसी सहमति से सुलझ चुका था और तलाक भी हो गया था, इसलिए अब पति के खिलाफ आपराधिक क...