अदालती कक्ष में भावनात्मक माहौल के बीच मद्रास हाईकोर्ट ने केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को आदेश दिया कि वह ऑनलाइन प्रसारित एक महिला वकील की निजी तस्वीरें और वीडियो को हटाने के लिए तत्काल कदम उठाए। ये वीडियो महिला वकील की सहमति के बिना बनाई गई।
जस्टिस एन आनंद वेंकटेश ने खुली अदालत में रुंधे गले से कहा, मैं बस यही सोच रहा हूं कि अगर यह महिला वकील मेरी बेटी होती, तो क्या होता। उन्होंने कहा, वह याचिकाकर्ता से मिलने का इरादा कर रहे थे, लेकिन इसके लिए उन्हें हिम्मत जुटानी होगी, ताकि वह टूट न जाएं। यह सामग्री कथित तौर पर महिला वकील के पूर्व साथी ने पीड़िता की जानकारी के बिना रिकॉर्ड की और अश्लील वेबसाइटों, मैसेजिंग एप और सोशल मीडिया मंचों पर साझा की। न्यायाधीश ने वायरल हो रही सामग्री का हवाला देते हुए कहा, महिला बेहद मानसिक पीड़ा से गुज़र रही है। अदालत ने स्वतः संज्ञान लेते हुए पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को भी प्रतिवादी बनाया और सभी हितधारकों को निर्देश जारी करने को कहा। अदालत ने कहा कि इस मुद्दे में महिलाओं को इसी तरह के उत्पीड़ने से बचाने के लिए व्यवस्थागत सुधार की आवश्यकता है।
अचानक वर्षों बाद कॉलेज के दिनों की तस्वीरें वायरल होने लगी
वकील के हलफनामे के अनुसार, उसके कॉलेज के दिनों के साथी ने चुपके से उनके अंतरंग पलों को रिकॉर्ड कर लिया। अचानक वर्षों बाद, ये तस्वीरें और वीडियो ऑनलाइन प्रसारित होने लगे। उन्होंने 1 अप्रैल को पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिसमें उनके पूर्व पार्टनर और एक व्हाट्सएप ग्रुप एडमिन का नाम शामिल था। लेकिन बाद में उन्हें पता चला कि यह सामग्री लगातार फैलती रही और न तो कानून प्रवर्तन एजेंसियों और न ही मंत्रालय ने कोई हस्तक्षेप किया।
सन्दर्भ स्रोत : विभिन्न वेबसाइट
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