पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक विवाहित महिला द्वारा दायर बलात्कार के मामले में आरोपी की दोष सिद्धि को खारिज कर दिया है। यह मामला एक ऐसे पुरुष के खिलाफ दर्ज किया गया था जिस पर महिला ने शादी का झूठा वादा कर यौन शोषण करने का आरोप लगाया था। जस्टिस शालिनी सिंह नागपाल ने फैसला सुनाते हुए कहा कि जब एक परिपक्व विवाहित महिला शादी के वादे पर सहमति से यौन संबंध बनाती है और लंबे समय तक ऐसा करती है, तो यह सिर्फ व्यभिचार, अनैतिकता और विवाह संस्था के प्रति लापरवाही को दर्शाता है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि विवाह का वादा अगर किसी अविवाहित महिला से किया जाए, तब वह समझ में आता है लेकिन जब महिला पहले से विवाहित हो तो यह तर्क स्वीकार्य नहीं है। हाईकोर्ट ने कहा कि यह स्पष्ट रूप से दो वर्षों तक चला एक सहमति पर आधारित रिश्ता था, जिसमें महिला अपने पति से अलग नहीं हुई थी। ऐसे में यह कहना कि आरोपी ने शादी के झूठे वादे पर बलात्कार किया, सरासर झूठ और अस्वीकार्य है। कोर्ट ने यह भी कहा कि पीड़िता कोई मासूम या भोलीभाली महिला नहीं थी, बल्कि दो बच्चों की मां और आरोपी से दस साल बड़ी थी।
हाईकोर्ट ने पाया कि पीड़िता खुद मानती है कि वह अपने ससुराल में रह रही थी और उसने अपने पति के खिलाफ न तो कोई कानूनी कार्यवाही शुरू की थी, न ही तलाक की अर्जी दी थी। पीड़िता ने वर्ष 2012-13 के दौरान 55-60 बार यौन संबंध बनने का दावा किया था लेकिन अदालत ने यह कहा कि इन घटनाओं के कोई विशेष दिनांक या सटीक विवरण नहीं दिए गए।
9 वर्ष के कठोर कारावास की सजा को किया खारिज
मामले में लुधियाना की ट्रायल कोर्ट ने आरोपी को 9 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट ने सजा के फैसले को खारिज करते हुए कहा कि यह एक सहमति आधारित संबंध था जो बाद में बिगड़ गया। बदला लेने की भावना से आरोपी के खिलाफ झूठा मामला बनाया गया। ऐसे संबंध को दुष्कर्म जैसे गंभीर अपराध का आधार नहीं बनाया जा सकता।

 
 






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