जबलपुर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में स्पष्ट टिप्पणी की है। उन्होंने कहा है कि अगर आर्थिक आवश्यकता सिद्ध न हो, तो शादीशुदा बेटी अनुकंपा नियुक्ति की पात्र नहीं मानी जा सकती। न्यायमूर्ति दीपक खोत की एकलपीठ ने कहा कि दिवंगत कर्मचारी के परिवार के अन्य सदस्य शादीशुदा बेटी पर निर्भर नहीं होते, इसलिए उस पर दयापूर्वक विचार नहीं किया जा सकता। इस निर्णय के साथ कोर्ट ने छिंदवाड़ा निवासी अनु पाल की याचिका खारिज कर दी।
यह है पूरा मामला
याचिकाकर्ता अनु पाल ने बताया था कि उनकी मां मूला देवी वेस्टर्न कोल लिमिटेड (WCL) में कार्यरत थीं, जिनका निधन 7 नवंबर 2017 को हो गया। उसके बाद उन्होंने अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया, जिसे उनके शादीशुदा होने के आधार पर निरस्त कर दिया गया है।
कंपनी की दलील
वेस्टर्न कोल लिमिटेड की ओर से बताया गया कि आवेदन केवल शादीशुदा होने के कारण निरस्त नहीं किया गया है। इसको अस्वीकार करने के आधार दूसरे हैं। उनका पति पहले से ही WCL में कार्यरत है। आर्थिक रूप से सक्षम है। इसके अलावा, याचिकाकर्ता की दोनों बहनों ने भी प्राधिकरण के समक्ष बयान दर्ज कराए कि अनुकंपा नियुक्ति देने का कोई औचित्य नहीं है।
कोर्ट की टिप्पणी
कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि याचिकाकर्ता न तो आर्थिक रूप से आवश्यकता सिद्ध कर सकीं और न ही यह बताने वाले दस्तावेज प्रस्तुत कर पाईं कि मृतक के परिवार के सदस्य उन पर निर्भर थे। ऐसे में अनुकंपा नियुक्ति के जरूरी मानकों को पूरा न करने पर राहत नहीं दी जा सकती है।



Comments
Leave A reply
Your email address will not be published. Required fields are marked *