मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति पर लगी बहू को सास–ससुर की देखभाल से पीछे हटने पर कड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने साफ कहा कि अनुकंपा नियुक्ति परिवार की आर्थिक सुरक्षा के लिए दी जाती है, इसलिए इससे जुड़ी जिम्मेदारियों से बचा नहीं जा सकता।
भोपाल के गोविंदपुरा निवासी बुजुर्ग दंपती प्रमोद (72) और रंजना (65) श्रीवास्तव ने 2020 में बेटे प्राचीर की मौत के बाद सहमति देकर बहू प्रियंका माथुर को अनुकंपा नियुक्ति दिलवाई थी। लेकिन प्रियंका कुछ समय बाद घरेलू हिंसा का हवाला देते हुए घर छोड़ गई और सास–ससुर की देखभाल से इनकार कर दिया। प्रियंका रेलवे में तृतीय श्रेणी कर्मचारी है।
चार साल तक अपनी बचत और सहयोगियों पर निर्भर रहकर गुजारा करने के बाद दंपती ने गोविंदपुरा एसडीएम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। एसडीएम रवि श्रीवास्तव ने 19 मई 2025 को माता-पिता भरण पोषण एक्ट के तहत प्रियंका को सास–ससुर की देखभाल का आदेश दिया। यह एक्ट सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूरे देश में लागू है।
एसडीएम के आदेश को चुनौती देते हुए प्रियंका हाईकोर्ट पहुंचीं। जहाँ चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की बेंच ने सुनवाई में कहा- अनुकंपा नियुक्ति ली है तो जिम्मेदारी निभानी होगी। यदि देखभाल नहीं कर सकतीं तो नौकरी छोड़ दें, ताकि परिवार का कोई अन्य सदस्य यह दायित्व संभाल सके। कोर्ट ने बुजुर्ग दंपति को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश होने के निर्देश दिए हैं, जबकि बहू को अगली सुनवाई में स्वयं उपस्थित रहना होगा। अगली सुनवाई 8 जनवरी को तय की गई है।
देखभाल न करने पर नौकरी जा सकती है
माता-पिता भरण-पोषण एक्ट क्या है? इसे ‘माता-पिता और वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम, 2007’ कहा जाता है। यह कानून सुनिश्चित करता है कि संतान या आश्रित व्यक्ति अपने माता-पिता और बुजुर्गों की देखभाल और भरण-पोषण के लिए बाध्य हों। इसी एक्ट के तहत सास–ससुर भी शिकायत कर सकते हैं।
बहू को अनुकंपा नियुक्ति किस शर्त पर मिलती है? बहू तभी नियुक्ति पा सकती है जब- मृत कर्मचारी के माता-पिता (सास–ससुर) लिखित सहमति दें। उसे परिवार का आश्रित सदस्य माना जाए। नौकरी ‘परिवार की आर्थिक सुरक्षा’ के नाम पर दी जाती है।
क्या बहू के लिए सास–ससुर की सेवा करना अनिवार्य है? हां। अनुकंपा लेने के बाद बहू कानूनी रूप से सास–ससुर की देखभाल व भरण-पोषण की जिम्मेदारी से पीछे नहीं हट सकती।
यदि बहू देखभाल से इनकार कर दे तो क्या कार्रवाई होती है? सास–ससुर कर शिकायत सकते हैं। इसके बाद एसडीएम/ट्रिब्यूनल देखभाल का आदेश जारी कर सकता है। आदेश न मानने पर नौकरी रद्द करने की अनुशंसा हो सकती है। इसके अलावा परिवार के अन्य सदस्य को नौकरी देने का निर्देश भी संभव है।
सन्दर्भ स्रोत : विभिन्न वेबसाइट



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