कलकत्ता हाईकोर्ट : अनुकंपा नियुक्ति में अमान्य विवाह

blog-img

कलकत्ता हाईकोर्ट : अनुकंपा नियुक्ति में अमान्य विवाह
से पैदा हुए बच्चों के साथ भेदभाव निंदनीय

कलकत्ता हाईकोर्ट ने माना है कि अनुकंपा रोजगार प्रदान करने के मामलों में बच्चे के जन्म के स्रोत पर विचार करना और अमान्य विवाह से पैदा हुए बच्चों के साथ भेदभाव करना निंदनीय है। दूसरी पत्नी से हुए बेटे को रेलवे ने अवैध बताते हुए पिता की मौत के बाद नौकरी देने से इंकार कर दिया। यह मामला हाइकोर्ट में पहुंचा। हाइकोर्ट में जस्टिस अनन्या बंदोपाध्याय ने कहा कि “भले ही यह वैध नहीं है, लेकिन सरकारी क्षेत्र में पिता की मौत के बाद अनुकंपा के आधार पर नौकरी के लिए वह योग्य उत्तराधिकारी है। इस संतान द्वारा नौकरी के आवेदन पर विचार करते समय वैध वैवाहिक रिश्ते से जन्मी संतान के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता है। न्यायाधीश ने साफ तौर पर कहा कि भेदभाव निंदनीय है। रोजगार करने वाले की मौत के बाद परिवार की आर्थिक समस्या दूर करने के लिए नौकरी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यहां पर रोजगार करने वाले की यह वैध संतान नहीं है, यह कह कर उसे वंचित नहीं किया जा सकता है।

यह है मामला

पूर्व रेलवे के आरपीएफ के हेड कांस्टेबल गोरखनाथ पांडेय की मौत के बाद उसकी दूसरी पत्नी की संतान ने नौकरी के लिए आवेदन किया था। पहली पत्नी लक्ष्मीना देवी की कोई संतान नहीं है। रेलवे ने दोनों पत्नियों के बीच सरकार से मिलने वाली आर्थिक सुविधाओं का बंटवारा कर दिया, लेकिन अनुकंपा के आधार पर दूसरी पत्नी की संतान को नौकरी देने से इंकार कर दिया। कारण के रूप में यह बताया गया कि मृतक की दूसरी शादी वैध नहीं है। हालांकि पहली पत्नी ने नौकरी को लेकर कोई आपत्ति दर्ज नहीं करायी थी। आसनसोल में कार्य करने के दौरान हुई मौत के बाद पूर्व रेलवे के पास नौकरी के लिए आवेदन किया। उक्त आवेदन रेलवे द्वारा खारिज करने के बाद पहली पत्नी ने अदालत में आवेदन किया। उक्त आवेदन पर फैसला देते हुए न्यायाधीश ने कहा कि वैध नहीं होने के बावजूद दूसरी पत्नी की संतान नौकरी के लिए योग्य उत्तराधिकारी है।

सन्दर्भ स्रोत : विभिन्न वेबसाइट

Comments

Leave A reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *



दिल्ली हाईकोर्ट : शादी के बाद माता-पिता अजनबी
अदालती फैसले

दिल्ली हाईकोर्ट : शादी के बाद माता-पिता अजनबी , नहीं, बेटी की प्रताड़ना पर दे सकते हैं गवाही

जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा ने शिकायत दर्ज कराने वाले मृतका के माता-पिता को निजी गवाह बताने की आरोपी व्यक्ति की दलील को खार...

इलाहाबाद हाईकोर्ट  : क्षणिक आवेश में लिए गए
अदालती फैसले

इलाहाबाद हाईकोर्ट  : क्षणिक आवेश में लिए गए , फैसलों से कमजोर पड़ रही है विवाह जैसी संस्थाएं

कोर्ट की टिप्पणी -विवाह एक सामाजिक संस्था है जो व्यक्तियों को पारिवारिक जीवन में बांधती है। साथ ही नैतिक, सामाजिक व कानू...

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट : POCSO एक्ट में समझौता मान्य नहीं
अदालती फैसले

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट : POCSO एक्ट में समझौता मान्य नहीं

कोर्ट ने कहा नाबालिगों से यौन शोषण के मामलों में समझौता स्वीकार्य नहीं, दुष्कर्म का मामला रद्द करने से इनकार

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट   : तलाक के बाद पत्नी का दर्जा खत्म, पति की संपत्ति पर नहीं किया जा सकता दावा
अदालती फैसले

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट   : तलाक के बाद पत्नी का दर्जा खत्म, पति की संपत्ति पर नहीं किया जा सकता दावा

पत्नी ने मकान पर किया था कब्जा; सिविल-कोर्ट के आदेश के खिलाफ लगाई याचिका खारिज

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट  : बेटी को भरण-
अदालती फैसले

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट  : बेटी को भरण- , पोषण देना पिता की नैतिक जिम्मेदारी

हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद कहा कि, कॉन्स्टेबल अपनी पिता की जिम्मेदारी से भाग नहीं सकता और उसे अपनी बेटी को भ...