नई दिल्ली। केरल हाईकोर्ट ने एक महिला को तलाक की अनुमति दे दी जिसका पति उस पर शक करता था और उसे नर्स की नौकरी छोड़ने के लिए मजबूर करता था। इस मामले में जस्टिस देवन रामचंद्रन और जस्टिस एमबी स्नेहलता की खंडपीठ ने कहा कि पति का इस तरह का व्यवहार तलाक अधिनियम, 1869 की धारा 10(1)(x) के तहत गंभीर मानसिक क्रूरता के समान है, जो पति या पत्नी को तलाक की अनुमति देता है।
कोर्ट ने कहा कि जीवनसाथी के पर शक और निगरानी शादी की नींव को खोखला कर सकती है, जो विश्वास, सम्मान और भावनात्मक सुरक्षा पर टिकी होती है।
अदालत ने आगे कहा...एक शक्की पति वैवाहिक जीवन को नर्क बना सकता है। लगातार पत्नी पर शक और अविश्वास प्रेम, विश्वास और समझ पर टिकी शादी की नींव को ही जहरीला कर देता है। एक शक्की पति, जो आदतन पत्नी की वफादारी पर शक करता है, उसके आत्म-सम्मान और मानसिक शांति को खत्म कर देता है। आपसी विश्वास ही विवाह की आत्मा है, जब इसकी जगह शक आ जाता है, तो रिश्ता अपना सारा अर्थ खो देता है। जब एक पति बिना किसी वजह के अपनी पत्नी पर शक करता है, उसकी गतिविधियों पर नजर रखता है, उसकी ईमानदारी पर सवाल उठाता है और उसकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता में दखल देता है, तो इससे पत्नी को मानसिक नुकसान का सामना करना पड़ता है।
क्या था पूरा मामला?
इससे पहले महिला ने पति से तलाक के लिए पारिवारिक न्यायालय में अपील की थी। लेकिन सबूतों के अभाव में क्रूरता के आधार पर तलाक की उसकी याचिका खारिज कर दी गई थी। बाद में महिला ने हाईकोर्ट में अपील की। कपल की शादी साल 2013 में हुई थी।
पत्नी को जबरन नौकरी छोड़ने के लिए करता था मजबूर
पत्नी ने कोर्ट को बताया कि शादी के शुरुआती दिनों से ही उसका पति उस पर शक करता था। उसके जीवन को कंट्रोल करके उसे लगातार मानसिक और शारीरिक क्रूरता का शिकार बनाता रहा। महिला ने ये भी बताया कि पति ने उसे विदेश में अपने साथ रहने के लिए नर्सिंग की नौकरी छोड़ने पर मजबूर किया। जब वह उसके साथ रहने लगी तो पति ने उस पर पाबंदी लगानी शुरू कर दी। वो अक्सर उसे घर में बंद कर देता, किसी से भी फोन पर बात नहीं करने देता था।



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