जोधपुर। राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश मदन गोपाल व्यास ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए अपना महत्वपूर्ण फैसला दिया है। उनके इस फैसले से आने वाले समय में काफी सकारात्मक परिवर्तन होगा। याचिका की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा है कि बतौर संरक्षक यदि बच्चे के माता-पिता कमा रहे हैं, तो बच्चे के भरण-पोषण की जिम्मेदारी भी दोनों को साझा करनी होगी।
न्यायाधीश मदन गोपाल व्यास की एकल पीठ में एक प्रार्थी की याचिका पर बच्चों के भरण-पोषण दिलवाने के मामले में सुनवाई हुई। यहां परिवादी के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि मेरे मुवक्किल का परिवारिक न्यायालय में मामला दर्ज है और वह सेल्समैन की नौकरी करता है, उसकी पत्नी अध्यापिका है। जब बच्चे के दोनों संरक्षक कमा रहे हैं और दोनों की आर्थिक स्थिति लगभग समान है, ऐसी स्थिति में बच्चे के भरण-पोषण की जिम्मेदारी का बोझ अकेले पिता डालना अनुचित है।
पति कई दिनों से नहीं दे रहा खर्च
बहस का जवाब देते हुए वादी के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि उसका पति कई समय से बच्चों के भरण-पोषण का खर्च नहीं दे रहा है। जिससे मासूम बच्चों को मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि पारिवारिक न्यायालय में मामला दर्ज है और वहां से फैसला आने में समय लग सकता है। बच्चों के भरण-पोषण की जिम्मेदारी पति की होती है, इसलिए उसे ही खर्च उठाना होगा।
माता की भी होगी भरण-पोषण की जिम्मेदारी
इस पर परिवादी के अधिवक्ता ने कोर्ट में बहस करते हुए कहा कि मेरे मुवक्किल की आमदनी बहुत ही कम है और बच्चों की माता भी नौकरी करती हैं। हालांकि वो भी कमाती हैं और बेरोजगार नहीं हैं। इसलिए उनके भरण-पोषण की जिम्मेदारी माता भी उठाएं। कोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अपने आदेश में कहा कि बतौर संरक्षक यदि बच्चे के माता-पिता कमा रहे हैं, तो बच्चे के भरण-पोषण की जिम्मेदारी भी दोनों को साझा करनी होगी।
हाइकोर्ट ने 5 हजार की गुजारा भत्ता की राशि
हाइकोर्ट ने वकील की दलीलों के बाद अंतरिम गुजारा भत्ते की राशि 8 हजार से घटाकर 5 हजार कर दी और आदेश पत्नी द्वारा मुकदमा करने की तारीख से मान्य होगा। दरअसल 43 वर्षीय सेल्समैन विजय शाह और उसकी अध्यापिका पत्नी शिल्पा जैन का फैमेली कोर्ट में चल रहे केस में फैमिली कोर्ट नंबर 3 के जज ने बच्चों व पत्नी के लिए अंतरिम गुजारा भत्ता 8 हजार रुपए देने का आदेश दिया था। जिसे सेल्समैन पति ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। पति की ओर से दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने फैसला दिया। 2019 में फैमेली कोर्ट में तलाक का केस दायर हुआ। मार्च 2023 में अंतरिम गुजारा भत्ते के आदेश फैमेली कोर्ट ने दिए। अप्रैल 2023 में पति ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई जिस पर सुनवाई के बाद मंगलवार को हाईकोर्ट ने आदेश दिया।
सन्दर्भ स्रोत : न्यूज़ 18
Comments
Leave A reply
Your email address will not be published. Required fields are marked *