सुप्रीम कोर्ट ने अपने ही एक फैसले को पलटते हुए 13 साल के बच्चे की कस्टडी मां को सौंप दी। कोर्ट ने पाया कि मां से अलग होने के कारण बच्चा मानसिक तनाव और उद्विग्नता (एंग्जायटी) का शिकार हो गया था।
बता दें कि इसके पहले अगस्त 2024 में कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए बच्चे की स्थायी कस्टडी पिता को दी थी। लेकिन मां ने पुनर्विचार याचिका दायर कर कहा कि बच्चे में गंभीर मानसिक परेशानी के लक्षण दिख रहे हैं। मनोवैज्ञानिक की रिपोर्ट में भी बच्चे में सेपरेशन एंग्जायटी डिसऑर्डर का खतरा बताया गया। मां ने यह भी आरोप लगाया कि पिता ने बच्चे को धमकाया और मां से मिलने नहीं दिया, जिससे उसकी हालत और बिगड़ी।
कोर्ट बोला- बच्चे की मानसिक स्थिति बिगड़ रही
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मनोवैज्ञानिक की रिपोर्ट नया सबूत है और बच्चे की बिगड़ती मानसिक स्थिति में कोर्ट का दखल जरूरी है। कोर्ट ने कहा;- बच्चा अपने पिता को अजनबी मानता है और कभी उसके साथ रात भी नहीं बिताई थी, जबकि मां को वह मुख्य सहारा मानता है।
क्या है पूरा मामला
दंपती की शादी 2011 में हुई और 2012 में बेटा हुआ। 2015 में तलाक हो गया, जिसके बाद बच्चा मां के पास रहा। 2019 में जब मां बेटे के साथ मलेशिया जाने लगी तो पिता ने कस्टडी के लिए कोर्ट का रुख किया। फैमिली कोर्ट ने मां को कस्टडी दी, लेकिन हाईकोर्ट ने फैसला पलट दिया। अब सुप्रीम कोर्ट ने बच्चे की मानसिक स्थिति देखते हुए मां के पक्ष में फैसला सुनाया।
सन्दर्भ स्रोत : विभिन्न वेबसाइट
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