भोपाल। अंतरराष्ट्रीय डाक्टर-डे चिकित्सकों का सम्मान करने का दिन नहीं है, बल्कि उन चिकित्सकों (doctor) और स्वास्थ्यकर्मियों की निस्वार्थ सेवा को सलाम करने का दिन है, जो अपने काम को केवल पेशा नहीं, बल्कि समाज सेवा का माध्यम मानते हैं। प्रदेश में ऐसी अनगिनत महिला चिकित्सक हैं, जो अपने समर्पण, सेवा और मेहनत से आमजन के लिए मसीहा बन चुकी हैं।
मातृत्व की राह आसान बना रहीं डा. बसंती गुरु
पंडित खुशीलाल शर्मा आयुर्वेद अस्पताल, भोपाल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. बसंती गुरु ने आयुर्वेद (ayurved) के जरिए, गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित और स्वाभाविक मातृत्व (Safe and natural motherhood for pregnant women) देने की पहल शुरू की है। उनके निर्देशन में अस्पताल में सामान्य प्रसव को बढ़ाया दिया जा रहा है, महिलाओं को प्राकृतिक प्रसव की सुविधा मिल रही है। डा. बसंती ने बांझपन की समस्याओं पर भी आयुर्वेदिक तरीके से काम किया है। हाल ही में 14 साल से संतान सुख से वंचित एक महिला को उन्होंने सफलतापूर्वक इलाज कर गर्भधारण में मदद की। यह पूरी सेवा निशुल्क है, जिससे आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की महिलाओं को बड़ी राहत मिल रही है। 2015 में शुरू हुई इस पहल को अब राष्ट्रीय महिला आयोग और एनएचएम से मान्यता मिल चुकी है और 2024 में इसे उत्कृष्ट प्रसव केंद्र का पुरस्कार भी मिला है।
मध्य प्रदेश की 'मदर टेरेसा' डॉक्टर लीला जोशी
पद्मश्री (PADAMSHREE) डॉ. लीला जोशी अपने कैरियर के दौरान स्वास्थ्य क्षेत्र के कई महत्वपूर्ण पदों पर रहीं, परन्तु सेवानिवृत्ति के बाद मदर टेरेसा (mother Teresa) से प्रभावित होकर समाज सेवा से जुड़ गईं। उन्होंने अपना कार्यक्षेत्र रतलाम जिले को बनाया। उनका ध्येय है आदिवासी बहुल क्षेत्र को रक्ताल्पता से मुक्त (Tribal dominated area free from anaemia) करवाना। उन्होंने इस क्षेत्र में रहने वाली महिलाओं के लिए कई स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन किया और उनका निःशुल्क इलाज किया। वे मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ की एकमात्र ऐसी महिला हैं जो आदिवासी बहुल क्षेत्रों में स्त्री रोगों के प्रति महिलाओं को जागरुक कर रही हैं। इसलिए उन्हें लोग ‘मालवा की मदर टेरेसा’ कहते हैं। अब तक वे लाखों बालिकाओं को जागरूक कर चुकी है जिसका सुखद परिणाम यह हुआ कि जिले में मातृ मृत्यु दर में कमी आने लगी। डॉक्टर लीला जोशी का नाम देश की महिला और बाल विकास विभाग द्वारा जारी सूची में देश की सौ सबसे प्रभावी महिलाओं में शामिल किया गया है।
गांव की महिलाओं के लिए सेहत की सहेली बनीं मीना शुक्ला
मिन्डोरा आरोग्य मंदिर की कम्युनिटी स्वास्थ्य अधिकारी (Community Health Officer of Arogya Mandir) मीना शुक्ला ने पांच साल की सेवा में एक भी अवकाश नहीं लिया। वह नियमित रूप से गांवों में स्वास्थ्य शिविर लगाकर खासतौर पर महिलाओं को स्वास्थ्य जागरूकता (health awareness) की दिशा में प्रेरित कर रही हैं। उनके प्रयासों से महिलाएं अब गर्भावस्था, मासिक धर्म और पोषण जैसे विषयों को लेकर सजग हो रही हैं। उनके कार्यों को देखते हुए उन्हें मार्च 2025 में एनक्वास पुरस्कार' और 'हेल्थ कवरेज डे' पर 'डेली कंसल्टेशन’ अवार्ड से सम्मानित किया गया। उनकी कार्यप्रणाली से प्रभावित होकर अब तक तीन विदेशी स्वास्थ्य टीमों ने उनका केंद्र देखा और सराहना की है।
सन्दर्भ स्रोत : नवदुनिया
सम्पादन : मीडियाटिक
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