छाया : संगीता नेल्लोर
भोपाल की समाजसेवी संगीता नेल्लोर (Sangeeta Nellore) शहर के भिखारियों (beggars ) के जीवन में आशा की किरण बनकर उभरी हैं। ऐसे लोगों को आत्मनिर्भर ( self-reliant) और गरिमापूर्ण जीवन जीने का अवसर प्रदान कर संगीता ने उनकी जिंदगी बदल दी है। संगीता के प्रयासों का ही नतीजा है कि पहले जो वृद्ध महिला-पुरुष भीख मांगकर जीवन यापन करते थे, वे आज आत्मनिर्भर हो गए हैं।
नेल्लोर शिक्षा समिति की संगीता के मन में मानवीय संवेदना और परोपकार का भाव बचपन से ही था। बारहवीं कक्षा की यह छात्रा जब किसी को भीख मांगते देखती तो ऐसे उपेक्षित और पीड़ित व्यक्ति के लिए उसके मन में दया, करुणा और ममता उपजती। इसके साथ ही जरूरतमंद को सहारा देने के लिए उनके हाथ अपने आप बढ़ जाते।
भिक्षुओं को आत्मनिर्भर बनाने की मुहिम में जुटीं संगीता शहर के कोलार स्थित आश्रम में आने वाले सभी भिक्षुओं को निशुल्क सुविधा उपलब्ध कराती हैं। साथ ही उनके खाने पीने का ध्यान भी रखती हैं। संगीता भिक्षा मांगने वालों को आत्मनिर्भर बनाना चाहती हैं। इसलिए वे घरों में सजावटी सामान व होम मेकिंग का प्रशिक्षण इन लोगों को दे रही हैं।
संगीता बताती हैं कि भीख मांगने वाली बुजुर्ग महिलाओं और पुरुषों की कहानी हृदय को द्रवित करने वाली होती है। वे समाज और परिवार से उपेक्षित तिरस्कृत होकर मानसिक और शारीरिक रूप से टूट चुके होते हैं। कई तो विक्षिप्त हो जाते हैं। ऐसे कई भिखारियों को उन्होंने इस आश्रम में लाकर आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया है।
मोतियों की माला और लिफाफे बनाने के काम सिखाए
संगीत बताती है कि भीख मांगने वाली महिलाओं को उन्होंने मोतियों की माला बनाने जैसे काम सिखाए हैं जिन्हें वे अब बखूबी बनाती हैं। इसके साथ ही वृद्ध पुरुष भिखारियों को लिफाके आदि बनाने के काम में लगाकर उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया है। उनके बनाए लिफाफे फल-सब्जी विक्रेताओं और मेडिकल विक्रेताओं को उपलब्थ कराए जाते हैं। काम करने से भिक्षा मांगने वाली महिलाओं और पुरुषों में आत्मनिर्भरता का भाव आया है। अब ये समाज में आम व्यक्ति की तरह जीना सीख रहे हैं।
संदर्भ स्रोत : संगीता नेल्लोर द्वारा प्रेषित
Comments
Leave A reply
Your email address will not be published. Required fields are marked *