इलाहाबाद हाईकोर्ट : दंपती के तलाक केस में कोई

blog-img

इलाहाबाद हाईकोर्ट : दंपती के तलाक केस में कोई
तीसरा नहीं बन सकता पक्षकार कोर्ट का फैसला

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में में कहा कि वैवाहिक विवाद पति और पत्नी के बीच बना रहता है। इसमें तीसरे पक्ष का कोई सरोकार नहीं होता। हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 13 बी के तहत तलाक की कार्यवाई में किसी अन्य को पार्टी बनने की अनुमति नहीं दी जा सकती। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि तलाक की कार्रवाई केवल विवाह के पक्षकारों के बीच होता है। कोई भी तीसरा व्यक्ति हिंदू मैरिज एक्ट हिंदू की धारा 13 बी के तहत कार्रवाई में पक्षकार बनने की मांग नहीं कर सकता है।

यह आदेश जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह और जस्टिस डोनादी रमेश की डबल बेंच ने कृति गोयल की पहली अपील को मंजूर करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा कि वैवाहिक विवाद उस जोड़े के बीच का विवाद ही रहता है जो अपने वैवाहिक रिश्ते में मुश्किलें महसूस कर रहे हो।

क्या था पूरा मामला?

मामले के अनुसार हाईकोर्ट में अपीलकर्ता कृति गोयल ने फैमिली कोर्ट्स एक्ट 1984 की धारा 19 के तहत पील दायर की थी। अपील में अलीगढ़ फैमिली कोर्ट द्वारा 23 अप्रैल 2024 को पारित आदेश को चुनौती दी गई थी जिसमें हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 13बी के तहत कार्रवाई की गई है। प्रतिवादी जो पक्षकारों (पति और पत्नी) के लेनदार थे उन्होंने आपसी सहमति से तलाक के लिए दायर की गई कार्रवाई में पक्षकार बनने की मांग की थी। प्रतिवादियों ने दलील दी कि क्योंकि उन्हें पैसे मिलने थे इसलिए उन्हें लगा कि पक्षों के बीच अलगाव से उनके अधिकारों पर असर पड़ेगा। पत्नी ने अलीगढ़ के प्रिंसिपल जज, फैमिली कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी जिसमें तीसरे को पक्षकार बनाने की अनुमति दी गई थी।

हाईकोर्ट ने क्या कहा?

हाईकोर्ट ने कहा कि क्योंकि तलाक से पक्षकारों के कुछ नागरिक अधिकार बदल सकते हैं लेकिन आपसी सहमति से तलाक की कार्रवाई में तीसरे पक्ष को कभी भी पक्ष नहीं बनाया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि प्रतिवादी संबंधित जोड़े के वैवाहिक कलह की स्थिति में हस्तक्षेप करते हुए देखे जा रहे हैं। चाहे यह कितना भी तीखा क्यों न हो, लेकिन अभियोग कभी भी उचित नहीं ठहराया जा सकता। वैवाहिक विवाद पति-पत्नी के बीच का विवाद ही रहता है जिन्हें अपने वैवाहिक संबंधों में कठिनाईयां आ रही हो। अन्य सभी व्यक्ति उस विवाद से अनजान बने रहते हैं। हाईकोर्ट ने अपील को यह कहते हुए मंजूर कर लिया गया कि तलाक के बाद भी प्रतिवादी अपने दावों के हकदार बने रहेंगे।

सन्दर्भ स्रोत : विभिन्न वेबसाइट

Comments

Leave A reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *



ओडिशा हाईकोर्ट : दूसरी पत्नी के बच्चों
अदालती फैसले

ओडिशा हाईकोर्ट : दूसरी पत्नी के बच्चों , को भी पैतृक संपत्ति में मिलेगा हक

कोर्ट ने कहा हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 16 अमान्य और अमान्यकरणीय विवाहों से उत्पन्न संतानों को वैधता प्रदान करती...

इलाहाबाद हाईकोर्ट : नाबालिग पत्नी
अदालती फैसले

इलाहाबाद हाईकोर्ट : नाबालिग पत्नी , बालिग होने तक सुरक्षा गृह में रहेगी

नाबालिग पत्नी को पति की अभिरक्षा में देने से हाईकोर्ट का इंकार, कहा- पत्नी बालिग होने तक बाल सुरक्षा गृह में रहे, उसके ब...

केरल हाईकोर्ट : पति द्वारा लगातार निगरानी
अदालती फैसले

केरल हाईकोर्ट : पति द्वारा लगातार निगरानी , और निराधार संदेह तलाक का आधार

अदालत ने कहा कि ऐसे रिश्ते में बने रहना महिला के सम्मान और मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए घातक हो सकता है।

बॉम्बे हाईकोर्ट : नाना की संपत्ति
अदालती फैसले

बॉम्बे हाईकोर्ट : नाना की संपत्ति , में नातिन का जन्मसिद्ध अधिकार नहीं

हाईकोर्ट ने हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम को किया स्पष्ट-कहा कि 2005 के हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम ने बेटियों को सहदायिक अधिक...

दिल्ली हाईकोर्ट : दोस्ती दुष्कर्म का लाइसेंस नहीं है
अदालती फैसले

दिल्ली हाईकोर्ट : दोस्ती दुष्कर्म का लाइसेंस नहीं है

आरोपी की जमानत याचिका रद करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने की सख्त टिप्पणी

राजस्थान हाईकोर्ट : दूसरी शादी शून्य घोषित
अदालती फैसले

राजस्थान हाईकोर्ट : दूसरी शादी शून्य घोषित , न होने पर भी महिला भरण-पोषण की हकदार

दूसरी शादी-मेंटेनेंस विवाद, हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट का आदेश पलटा  महिला के भरण-पोषण पर मामला वापस भेजा फैमिली कोर्ट में...