दिल्ली हाईकोर्ट : कर्ज या ईएमआई की आड़ में पत्नी व

blog-img

दिल्ली हाईकोर्ट : कर्ज या ईएमआई की आड़ में पत्नी व
बच्चे को भरण-पोषण देने से नहीं बच सकते

नई दिल्ली। आर्थिक बोझ का हवाला देकर अलग रह रही पत्नी व बच्चे को भरण-पोषण देने के दायित्व से बचा नहीं जा सकता हैं। भरण-पोषण से जुड़े एक मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने अहम निर्णय सुनाते हुए कहा कि लोन या ईएमआई की आड़ में पत्नी और बच्चे  को भरण-पोषण देने से नहीं बचा जा  सकता है।पत्नी को 15 हजार रुपये प्रतिमाह का मुआवजा देने का आदेश देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने माना कि वित्तीय दायित्वों का हवाला देकर अपने वैधानिक कर्तव्यों से बच नहीं सकता है।

फैमिली कोर्ट के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका की खारिज 

न्यायमूर्ति नवीन चावला व न्यायमूर्ति रेनू भटनागर की पीठ ने इस टिप्पणी पारिवारिक अदालत के निर्णय को चुनौती देने वाली पति की याचिका को खारिज करते हुए की। पीठ ने कहा कि घर का किराया, बिजली शुल्क, लोन का भुगतान, जीवन बीमा के लिए प्रीमियम या स्वैच्छिक उधार के लिए ईएमआई व्यक्ति द्वारा किया गया स्वैच्छिक वित्तीय दायित्व माना जाता है।

पत्नी को आठ और बेटे के लिए सात हजार रुपये देने का था आदेश 

याचिकाकर्ता व्यक्ति ने 19 अप्रैल 2025 के पारिवारिक अदालत के आदेश को चुनौती दी थी। पारिवारिक अदालत ने याचिकाकर्ता को 15 हजार का अंतरिम भरण-पोषण देने का निर्देश दिया गया था। इसमें आठ हजार रुपये उसकी अलग रही पत्नी व सात हजार रुपये उसके नाबालिग के बेटे के लिए थे। आदेश को चुनौती देते हुए व्यक्ति ने तर्क दिया था कि पारिवारिक अदालत ने उसके वित्तीय दायित्वों को ध्यान में रखे बिना आदेश पारित किया था। 

पत्नी ने 30 हजार रुपये प्रतिमाह भरण पोषण की मांग की

याचिका ने तर्क दिया कि उसकी मासिक ईएमआइ, पत्नी और बच्चे दोनों को कवर करने वाला मेडिक्लेम प्रीमियम शामिल है और संविदा पर काम करता है। याचिका के अनुसार याची की महिला से फरवरी 2009 में शादी हुई थी और उनका एक बच्चा है, लेकिन मार्च 2020 में वे अलग रहने लगे। महिला ने अंतरिम भरण-पोषण के लिए 30 हजार रुपये प्रति माह की मांग करते हुए अदालत का रुख किया था। 

सन्दर्भ स्रोत : विभिन्न वेबसाइट

Comments

Leave A reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *



पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट : POCSO एक्ट में समझौता मान्य नहीं
अदालती फैसले

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट : POCSO एक्ट में समझौता मान्य नहीं

कोर्ट ने कहा नाबालिगों से यौन शोषण के मामलों में समझौता स्वीकार्य नहीं, दुष्कर्म का मामला रद्द करने से इनकार

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट   : तलाक के बाद पत्नी का दर्जा खत्म, पति की संपत्ति पर नहीं किया जा सकता दावा
अदालती फैसले

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट   : तलाक के बाद पत्नी का दर्जा खत्म, पति की संपत्ति पर नहीं किया जा सकता दावा

पत्नी ने मकान पर किया था कब्जा; सिविल-कोर्ट के आदेश के खिलाफ लगाई याचिका खारिज

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट  : बेटी को भरण-
अदालती फैसले

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट  : बेटी को भरण- , पोषण देना पिता की नैतिक जिम्मेदारी

हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद कहा कि, कॉन्स्टेबल अपनी पिता की जिम्मेदारी से भाग नहीं सकता और उसे अपनी बेटी को भ...

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट : तलाक के सात माह बाद
अदालती फैसले

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट : तलाक के सात माह बाद , दहेज उत्पीड़न का केस, क़ानून का दुरूपयोग

कोर्ट ने कहा -पति-पत्नी के बीच का विवाद आपसी सहमति से सुलझ चुका था और तलाक भी हो गया था, इसलिए अब पति के खिलाफ आपराधिक क...