बचपन में उन्हें नृत्य-संगीत का शौक था। इसके अलावा बिनाका गीतमाला सुनते हुए सुप्रसिद्ध उद्घोषक अमीन सयानी की वे प्रशंसक बन गईं थीं।
1917 में भोपाल फौज के जमींदार नज़ीर मोहम्मद खां के घर पांचवी औलाद के रूप में जन्मी अख़्तर जहां तमाम ऐशो आराम के बीच सख़्त पाबंदी व...
यह भारत -पाकिस्तान बंटवारे का दौर था और या तब तक तय नहीं हुआ था कि भोपाल भारतीय गणतंत्र में शामिल होगा या नहीं। किसी शादी की महफ़िल...