छाया : स्व संप्रेषित
• सीमा चौबे
स्नेहिल दीक्षित मेहरा, जिन्हें लोग आज 'भेरी क्यूट आंटी' (बीसी आंटी) के नाम से पहचानते हैं, वे सिर्फ एक किरदार नहीं, बल्कि छोटे शहर की उस लड़की की कहानी हैं, जिसने सपनों के मायानगरी तक का सफ़र न केवल तय किया, बल्कि उसे अपने नाम भी कर लिया।
2 फरवरी 1984 को होशंगाबाद जिले की सिवनी मालवा तहसील के एक छोटे से गाँव में जन्मीं स्नेहिल का पालन-पोषण एक शिक्षित, लेकिन साधारण परिवार में हुआ। माँ श्रीमती उषा दीक्षित ने सुघड़ गृहिणी की भूमिका निभाते हुए बच्चों की शिक्षा को प्राथमिकता दी। बाद में वे एसबीआई लाइफ़ में वित्त सलाहकार (फाइनेंशियल एडवाइजर) बनीं। पिता श्री रमाकांत दीक्षित, वन विभाग में अधिकारी थे, जिनकी नौकरी के कारण उनका स्थानांतरण अक्सर ग्रामीण इलाकों में होता रहता था। इसी कारण स्नेहिल की शिक्षा विभिन्न नगरों में संपन्न हुई, जिनमें होशंगाबाद, बैतूल, विदिशा और भोपाल प्रमुख हैं।
स्नेहिल की प्रारंभिक शिक्षा सर्वाइवर्स कॉन्वेंट स्कूल, होशंगाबाद में हुई, जहां उन्होंने नर्सरी से लेकर सातवीं कक्षा तक अध्ययन किया। इसके बाद आठवीं कक्षा उन्होंने बैतूल के लिटिल फ्लावर स्कूल में पूरी की। तत्पश्चात, विदिशा में उन्होंने नौवीं से बारहवीं तक की शिक्षा प्राप्त की।बारहवीं के बाद वे पत्रकारिता की पढ़ाई करना चाहती थीं, सो उन्होंने माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय, भोपाल में आवेदन भी किया, पर परिवार के मार्गदर्शन और व्यवहारिक सोच के चलते उन्होंने अपना रास्ता बदला और वर्ष 2003 में जेएनसीटी कॉलेज, भोपाल में इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में दाखिला लिया।
चार भाई-बहनों में से केवल स्नेहिल को ही अंग्रेज़ी माध्यम में पढ़ने का अवसर मिला, जिसने उन्हें शुरू से ही एक अलग दृष्टिकोण और आत्मविश्वास दिया। बचपन से ही उनका रुझान गायन, चित्रकला, तैराकी और मार्शल आर्ट जैसे कलात्मक व शारीरिक गतिविधियों की ओर रहा। बड़े भाई से प्रेरणा लेते हुए उन्होंने इन क्षेत्रों में भी दक्षता हासिल की।
संघर्षों से सीख और सपनों की उड़ान
2007 में इंजीनियरिंग की डिग्री पूरी करने के बाद कैंपस सिलेक्शन के माध्यम से स्नेहिल मुंबई पहुंचीं - इस बात से बेखबर कि यह शहर उनके जीवन की दिशा ही बदल देगा। लेकिन उस समय देश आर्थिक मंदी से जूझ रहा था और जिस कंपनी में चयन हुआ था, वहाँ उन्हें काम करने का मौका देने के बजाय उन्हें सेवामुक्त करने का आदेश थमा दिया गया। मुंबई में बड़े भाई के साथ रहते हुए उन्होंने पत्रकारिता के सपने को फिर से जीवित किया। एक बिजनेस चैनल में इंटर्नशिप से शुरुआत की, फिर बिजनेस ऑफ सिनेमा डॉट कॉम में रिपोर्टर बनीं। वहाँ फ़िल्मी लेखन, इवेंट कवरेज और प्रेस रिलीज़ का अनुभव मिला, पर यह सफर भी ज्यादा लंबा नहीं चला।
टेलीविजन की दुनिया में प्रवेश
एक मित्र के माध्यम से उन्हें डीजे'स प्रोडक्शन हाउस (जिसने 'जस्सी जैसी कोई नहीं' बनाया था) में इंटर्नशिप का अवसर मिला। पहले ही दिन स्क्रिप्ट में सुधार कर उन्होंने डायरेक्टर का ध्यान खींचा और उन्होंने प्रभावित होकर उन्हें सारी स्क्रिप्ट देखने और सुधारने की जिम्मेदारी सौंप दी। यहीं से टेलीविजन की दुनिया से उनका गहरा नाता जुड़ा। धीरे-धीरे उन्होंने स्क्रिप्ट एडिटिंग, प्रोडक्शन, एडिटिंग और कास्टिंग की बारीकियाँ सीखीं। 2009 तक वे यहाँ काम करती रहीं। इसके बाद उन्होंने ‘बालिका वधु’ और ‘सात फेरे’ जैसे हिट सीरियल बनाने वाले ऑरिजिंस प्रोडक्शन हाउस में काम करना शुरू किया।
इस क्षेत्र में शुरुआत आसान नहीं थी। उनके आस-पास जो थे, वे किसी न किसी लोग फ़िल्म स्कूल से प्रशिक्षित थे और हर मायने में उनसे बेहतर थे, लेकिन स्नेहिल ने हार नहीं मानी। हर कार्य को पूरी ईमानदारी और लगन से किया। धीरे-धीरे लोगों को उन पर भरोसा होने लगा - “अगर स्नेहिल किसी प्रोजेक्ट से जुड़ी हैं, तो काम अच्छे से होगा।”
2007 से 2014 के बीच उन्होंने कई टीवी शो में विभिन्न भूमिकाओं में कार्य किया, लेकिन 2015 में उन्होंने ठान लिया कि अब वे अपनी कहानियाँ खुद लिखेंगी। करियर में स्थिरता आ जाने के बावजूद लेखन की बारीकियां सीखने के लिए उन्होंने सह-लेखक के रूप में शुरुआत की और धीरे-धीरे मुख्य लेखक बनीं। 2015 से 2017 तक उन्होंने खूब लिखा और कई धारावाहिकों के लिए स्क्रिप्ट तैयार की। कलर्स टीवी का शो ‘दिल से दिल तक’ उनके करियर का महत्वपूर्ण पड़ाव रहा, क्योंकि अब वे बड़े धारावाहिकों की कहानियों को गढ़ने लगी थीं।
व्यक्तिगत जीवन और साझेदारी
ऑरिजिंस प्रोडक्शन में काम के दौरान उनकी मुलाकात राहुल मेहरा से हुई। विचारों और मूल्यों की समानता ने उन्हें एक-दूसरे के करीब लाया और 2009 में दोनों ने विवाह किया। 2011 में बेटे हृदयान का जन्म हुआ।
अभिनय की शुरुआत
2018 में ऑल्ट बालाजी की वेब सीरीज ‘अपहरण’ में महज 17 सेकंड के किरदार ने उनकी ज़िंदगी बदल दी। “एजी, गाली दे रहा है कोई...” इस डायलॉग और किरदार के लिए उन्हें 'बीसी आंटी' का नाम मिला। इस बारे में स्नेहिल बताती हैं “इस सीरीज में वे क्रिएटिव डायरेक्टर की भूमिका में थीं, लेकिन एक छोटे से किरदार के लिए उन्हें ‘गोल-मटोल सी लड़की’ नहीं मिल रही थी, जो सिर्फ एक लाइन बोल दे, 'एजी, गाली दे रहा है कोई'। जब कोई नहीं मिला तो वह रोल उनसे करने के लिए कहा गया।” हालांकि ये किरदार उन्होंने मज़ाक में निभाया था, लेकिन सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया। एकता कपूर ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और ऑल्ट बालाजी में उन्हें वर्टिकल हेड बना दिया, जहाँ वे नई कहानियाँ और कॉन्टेंट तैयार करने लगीं।
कंटेंट और जनता से सीधा जुड़ाव
कैमरे के पीछे डायरेक्शन में व्यस्त स्नेहिल की ज़िंदगी ने एक बार फिर करवट ली. दोस्तों ने उनसे कहा कि उन्हें कॉन्टेंट बनाना चाहिए, तो उनका पहला रिएक्शन था - “लोग हँसेंगे ! इतनी बड़ी उम्र में, मां बनकर अब ये सब ?” लेकिन फिर एकता कपूर ने उन्हें समझाया कि वायरल होना किस्मत से होता है - इसे यूं ही जाने मत दो। लॉकडाउन के दौरान उन्होंने इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर हल्के-फुल्के हास्य वीडियो बनाने शुरू किए। उनकी 'भेरी क्यूट आंटी' का किरदार लोगों को इतना पसंद आया कि देखते ही देखते वो वायरल हो गईं। उनकी संवाद अदायगी, हावभाव और हास्य शैली ने हर उम्र के दर्शकों को आकर्षित किया। फिर एक पार्टी में करण जौहर ने उन्हें बीसी आंटी कहते हुए पहचान लिया। करण से मिली सराहना के बाद उन्हें अच्छी तरह समझ आ गया कि जब इंडस्ट्री के बड़े नाम पहचानने लगें, तो समझ लो रास्ता सही है।
'अपहरण' सीरीज के बाद उन्होंने दिल संभल जा ज़रा (2017), मेरे पापा हीरो हीरालाल (2018) और बेबाकी (2020) जैसे प्रोजेक्ट्स में काम किया। छोटे शहर के मुद्दों को उठाकर उन्होंने 'डाक सेवेन वाइट' शो भी बनाया, जो आज तक लोगों के बीच लोकप्रिय है। छोटे से वायरल मीम के कारण 2021 में अपहरण सीजन-2 में उन्हें बतौर एक्ट्रेस बड़ी भूमिका मिली। वे बताती हैं “जब सीरीज़ रिलीज़ हुई तो मुंबई में उनके बड़े-बड़े होर्डिंग लगे, वह पल मेरे लिए किसी सपने के सच होने जैसा था।”
संजय लीला भंसाली के साथ डायरेक्शन
साल 2021 में स्नेहिल को भारतीय सिनेमा के दिग्गज संजय लीला भंसाली की वेब सीरीज 'हीरा मंडी' में लेखक के रूप में काम करने का अवसर मिला। किसी ने उन्हें बताया कि भंसाली अपनी वेब सीरीज ‘हीरामंडी’ बना रहे हैं और उन्हें ऐसे चेहरे की तलाश है, जो न केवल अभिनय समझता हो, बल्कि लेखन से भी जुड़ा हो। यही बात उनके लिए फ़ायदेमंद साबित हुई। नौ महीने तक उन्होंने लेखन टीम का हिस्सा बनकर काम किया। एक दिन, शूटिंग के दौरान अचानक भंसाली ने उनसे कहा “तुम मुझे कुछ सीन डायरेक्ट करके दिखाओ।” पहले तो उन्हें घबराहट हुई क्यूंकि अब तक उन्होंने हमेशा पर्दे के पीछे रहकर काम किया था। डायरेक्शन उनके लिए नया था, लेकिन भंसाली ने उनका हौसला बढ़ाया. कहा “चिंता मत करो, मैं यहीं हूँ। बस तुम अपना काम करो।” फिर जो सीन उन्होंने डायरेक्ट किए, वे भंसाली को बेहद पसंद आए। वे पहले से बतौर राइटर उनकी कद्र करते थे, अब बतौर डायरेक्टर भी उन्होंने उन्हें स्वीकार किया।
2023 अक्टूबर में हीरा मंडी का काम पूरा हुआ। उन्हें सीरीज के एपिसोड पर डायरेक्टर क्रेडिट भी मिला और रेटिंग टीम में नाम दर्ज हुआ। भंसाली के साथ दो साल तक काम करना उनके लिए किसी फ़िल्म स्कूल से कम नहीं था। 2023 में वे ‘बिग बॉस ओटीटी’ में वाइल्ड कार्ड एंट्री के रूप में नज़र आईं, जिससे उनकी लोकप्रियता और बढ़ी।
आज स्नेहिल दिन में डायरेक्शन करती हैं, घर संभालती हैं और रात में बीसी आंटी बनकर सोशल मीडिया पर छा जाती हैं। वे कहती हैं “कभी सोचा भी नहीं था कि एक दिन साड़ी पहनकर कैमरे के सामने चुटकुले सुनाना, मेरे जीवन का सबसे सशक्त माध्यम बन जाएगा। कभी हिचकिचाते हुए शुरू किया गया कंटेंट क्रिएशन, अब मेरे व्यक्तित्व का अभिन्न हिस्सा बन चुका है, एक ऐसा हिस्सा जिसे मैं कभी पीछे नहीं छोड़ सकती।” उनका मंत्र है - “हमेशा बड़े सपने देखो। क्या पता, वे सच भी हो जाएँ।” वे मानती हैं कि महिलाएं शादी और मातृत्व के बाद भी अपनी पहचान बना सकती हैं - बशर्ते वे खुद को न भूलें।
इसके साथ ही उनकी उड़ान अब एक नई दिशा में बढ़ रही है। डायरेक्शन की राह पर काफ़ी आगे बढ़ चुकी स्नेहिल बहुत जल्द अपनी पहली फ़िल्म लेकर आ रही हैं, जिसकी पटकथा तैयार है और प्रोजेक्ट प्री-प्रोडक्शन स्टेज में है। जल्द ही इसकी औपचारिक घोषणा की जायेगी।
सन्दर्भ स्रोत : स्नेहिल दीक्षित द्वारा प्रेषित सामग्री
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