मिट्टी से जीवन गढ़ती कलाकार - निधि चोपड़ा

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मिट्टी से जीवन गढ़ती कलाकार - निधि चोपड़ा

छाया : स्व संप्रेषित 

• सीमा चौबे 

कला का रिश्ता जब मिट्टी से जुड़ता है तो जीवन की कहानियाँ भी उसी तरह आकार लेती हैं, जैसे चाक पर घूमती हुई गीली मिट्टी। दिल्ली में जन्मीं और भोपाल में अपनी पहचान गढ़ने वाली सिरेमिक कलाकार निधि चोपड़ा की यह यात्रा केवल मिट्टी और कला तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह संघर्ष, आत्म-मंथन और फिर धैर्य के साथ खुद को स्थापित करने की कहानी है।

निधि का जन्म 25 अगस्त, 1974 को एक ऐसे परिवार में हुआ जहाँ शिक्षा और अनुशासन के साथ कला के लिए भी वातावरण मौजूद था। उनके पिता सतीश कुमार चोपड़ा केंद्रीय लोक निर्माण विभाग में इंजीनियर रहे, बाद में उन्होंने अपना व्यवसाय किया। माँ सरोज चोपड़ा पंजाब नेशनल बैंक में कार्यरत थीं। तीन बहनों में सबसे बड़ी निधि का बचपन से ही कला की ओर रुझान था। घर में वे चित्रकारी करतीं और पिता उन्हें महान कलाकारों की पुस्तकें पढ़ने के लिए प्रेरित करते। यही संस्कार आगे चलकर उनकी पहचान बने।

शिक्षा और कला से जुड़ाव

निधि की प्राथमिक शिक्षा दिल्ली और तीसरी से 12वीं तक पढ़ाई अलवर (राजस्थान) में हुई। जयपुर से उन्होंने  फाइन आर्ट्स (मूर्तिकला) में स्नातक की पढ़ाई पूरी की। यहीं से कला को पेशेवर रूप देने का रास्ता खुला। पढ़ाई के दौरान ही उन्हें क्ले (मिट्टी) और सिरेमिक से लगाव हुआ। उस समय जब लड़कियाँ पारंपरिक रास्तों पर चलने की सोच के साथ आगे बढ़ रही थीं, निधि ने समाज की सीमाओं को चुनौती देते हुए कला को अपना करियर चुनने का फैसला किया। मूर्तिकला (Sculpture) में पढ़ाई के दौरान उन्हें बार-बार सुनना पड़ा कि “मिट्टी और आग से क्या होगा?” लेकिन उनके भीतर का रचनात्मक स्वभाव और कुछ अलग करने की चाह ने उन्हें आगे बढ़ने की ताक़त दी और  यही मिट्टी और आग आगे चलकर उनके जीवन का सबसे बड़ा संबल बनी।

1997 में मास्टर्स करने की चाह लेकर वे बड़ौदा जाना चाहती थीं, लेकिन किस्मत उन्हें भोपाल ले आई। भारत भवन में काम करने के लिए ललित कला अकादमी से प्राप्त अनुदान और स्कॉलरशिप ने उनकी कला को नई दिशा दी। यहाँ मिट्टी, चाक और भट्ठी के बीच उन्होंने खुद को तलाशा। यह समय आसान नहीं था, अक्सर संसाधनों की कमी, तकनीकी मुश्किलें और आर्थिक दबाव सामने आते, पर हर कठिनाई उन्हें और मजबूत बनाती गई।

उसी दौरान उनकी शुरुआती कलाकृतियों में से दो मेटल आर्टवर्क वरिष्ठ कलाकार मंजीत बावा ने खरीदे और उन्हें राजस्थान स्टेट अवार्ड भी मिला। यही वह मोड़ था जिसने निधि को सिरेमिक की दुनिया में स्थापित कर दिया। 

2001 में जहांगीर आर्ट गैलरी, मुंबई में पहला ग्रुप शो उनके करियर का बड़ा पड़ाव साबित हुआ, जहाँ उनके काम की खूब सराहना हुई। 2006 में एक बार फिर उसी गैलरी में प्रदर्शन हुआ, साथ ही दिल्ली, अहमदाबाद और बड़ौदा में भी उनकी कला को सराहा गया। यही वह साल था जब उन्हें जिंदल इंडस्ट्रीज़, तोरंगल (कर्नाटक) के नेशनल कैम्प में शामिल होने का मौका मिला, जहाँ देशभर से आए 12 वरिष्ठ कलाकारों के बीच तीन महिलाओं में निधि अकेली सबसे युवा महिला सिरेमिक आर्टिस्ट थीं। निधि ने सिरेमिक स्टूडियो, भारत भवन, भोपाल में भी 1997 से 2001 तक काम किया।

विवाह, ठहराव और संघर्ष

2001 में उन्होंने सिरेमिक कलाकार अनिरुद्ध सागर से विवाह किया। दोनों भारत भवन छोड़कर घर से ही काम करने लगे। 2003 में पुत्र का जन्म हुआ। परिवार और कला दोनों को संतुलित करते हुए भी निधि प्रदर्शनियों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराती रही, लेकिन वर्ष 2010 जीवन का सबसे कठिन मोड़ साबित हुआ। किन्हीं कारणों से उनके और पति के रास्ते अलग हो गये। इससे उपजे अवसाद के कारण निधि का काम रुक गया। यही वह समय था जब उन्होंने भोपाल के जनजातीय संग्रहालय के निर्माण कार्य में तकनीकी सहायक के रूप में कार्य शुरू किया जहाँ वे लगभग 12 वर्षों तक जुड़ी रहीं।

पुनः शुरुआत और उपलब्धियाँ

लंबे ठहराव के बाद 2018 में निधि को मध्यप्रदेश स्टेट अवॉर्ड और एचआरडी मंत्रालय की सीनियर फैलोशिप प्राप्त हुई। इस सम्मान ने उन्हें फिर से सिरेमिक कला की ओर लौटने का हौसला दिया। 2022 में उन्होंने अपनी सरकारी नौकरी छोड़कर भोपाल में अपना स्टूडियो 'तारा' स्थापित किया. इतना ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उनकी पहचान बनी जब वे चीन सरकार के आमंत्रण पर लॉन्गचुआन सिटी और सिचुआन के अंतर्राष्ट्रीय रेजीडेंसी कार्यक्रम में शामिल हुईं। ख़ास बात यह कि दुनिया भर से आए सौ कलाकारों के बीच भारत से सिर्फ 15 कलाकारों का चयन हुआ था, जिनमें निधि भी शामिल थीं। यहाँ तीन माह में उन्होंने स्थानीय मिट्टी और ग्लेज़ेस के साथ कई प्रयोग किये।

अनुभव और दर्शकों की प्रतिक्रिया

निधि के काम में बहुत अधिक रंगों का प्रयोग नहीं होता, लेकिन फिर भी उनकी कला प्रकृति के बेहद करीब महसूस होती है। यही कारण है कि लोग उनके कार्यों से गहरा जुड़ाव महसूस करते हैं। मुंबई में आयोजित उनकी पहली प्रदर्शनी इसका सबसे बड़ा उदाहरण रही। शो के उद्घाटन से पहले ही उनकी तीन-चार कलाकृतियाँ खरीदी जा चुकी थीं। इस प्रदर्शनी में प्रसिद्ध कलाकार कृष्णमाचारी बोस भी मौजूद थे, जिन्होंने उनके काम को सराहा।

निधि के अनुसार उनका सबसे बड़ा उपलब्धि पल तब आया जब प्रदर्शनी में एक महिला रोज़ शाम को गैलरी आती और घंटों उनके काम को निहारती रहती। जब निधि ने उनसे पूछा कि आप रोज़ आती हैं,  लेकिन कुछ खरीदतीं नहीं ! तब महिला कहा -"आपकी कला मुझे बेहद पसंद है, लेकिन अफ़सोस कि मैं इसे खरीदने की सामर्थ्य नहीं रखती” निधि ने उस महिला को एक कलाकृति भेंट करते हुए कहा - “आप मेरा ये काम रखिये, क्यूंकि इस काम को आपसे ज्यादा प्रेम कोई और नहीं कर पायेगा, शायद मैं भी नहीं।” निधि के लिये यह पल किसी भी उपलब्धि से कहीं बड़ा था। निधि बताती हैं -"उस समय मुझे एहसास हुआ कि कलाकार के लिए असली उपलब्धि केवल बिक्री में नहीं, बल्कि किसी व्यक्ति के दिल में आपकी कला के लिए जगह बनाने में है।"

निधि के काम में प्रकृति का चक्र बार-बार दिखाई देता है। बीज का अंकुरण, फूल का खिलना और फिर मिट्टी में विलीन हो जाना - यह उनकी रचनाओं का केंद्रीय भाव है। उनका कहना है “मिट्टी मेरे लिए केवल सामग्री नहीं, जीवन का आधार है।

वर्तमान में निधि भोपाल में अपने स्टूडियो से बच्चों और युवाओं को सिरेमिक कला सिखा रही हैं। उनका बेटा नव्य सागर बेंगलुरू में एनिमेशन फ़िल्म डिज़ाइन की पढ़ाई कर रहा है। निधि का सपना है कि वे अपनी खोई हुई राह को फिर से हासिल करें और सिरेमिक कला के लिए ऐसा मंच तैयार करें जहाँ नई पीढ़ी, खासकर महिलाएँ और बच्चे, सिरेमिक कला सीख सकें।

पुरस्कार और उपलब्धियाँ

छात्रवृत्तियां 

• संस्कृति मंत्रालय,नई दिल्ली द्वारा सीनियर फ़ेलोशिप

• ललित कला अकादमी,नई दिल्ली से स्टूडियो ग्रांट (स्कालरशिप) 

•  राजीव गांधी आर्ट्स एंड कल्चर सेंटर द्वारा  स्कल्पचर के लिए Honorable Mention (मुंबई)

 

सम्मान

• राजस्थान स्टेट अवार्ड (1998)

• देवकृष्ण जटाशंकर जोशी पुरस्कार (मध्यप्रदेश वार्षिक राज्य प्रदर्शनी, 2020)

• मणिकर्णिका अखिल भारतीय ऑनलाइन महिला कला प्रदर्शनी में रजत पदक 2024

 

प्रदर्शनियां

• ललित कला अकादमी-नई दिल्ली (2017)

सामूहिक प्रदर्शनियां-

• नेशनल एक्जीबिशन ऑफ़ आर्ट-ललित कला अकेडमी-नई दिल्ली (1998)

• नेशनल एक्जीबिशन ऑफ़ आर्ट-ललित कला  अकादमी-दिल्ली (1998- 99)

• राजस्थान ललित कला  अकादमी, एनुअल स्टेट एक्जीबिशन-जयपुर (2000)

• भारत भवन-भोपाल (biennal  honorable mention 2002)

• ऑल इंडिया आरजीएसीसी एक्जीबिशन-मुंबई (2002)

• ASNA -कराची (2003)

• मध्यप्रदेश स्टेट एक्जीबिशन-खजुराहो (2017)

• मध्यप्रदेश स्टेट एक्जीबिशन-जबलपुर (2019)

• जहांगीर आर्ट गैलरी-मुंबई (2001)

• सत्या आर्ट गैलरी-मुंबई (2003)

'बादल राग' मानसून पर प्रदर्शनी-भोपाल (2003)

• 'स्लैश' ललित कला अकादमी-नई दिल्ली (2004)

• 'हार्वेस्ट 04-नई दिल्ली (2004)

• ललित कला अकादमी-नई दिल्ली में भारत भवन, भोपाल के कलाकारों की 'फ्यूजन' प्रदर्शनी (2005)

• जहांगीर आर्ट गैलरी-मुंबई (2006)

• किताब महल-मुंबई (2006)

• ‘फेब शो’ रेड अर्थ आर्ट गैलेरी-बड़ोदा (2006)

• 'सिरेमिक टुडे' लेमन ग्रास हूपर गैलरी-अहमदाबाद (2007)

• 'फॉर्म विदइन फॉर्म'- पुणे (2008)

• 'फ्लोटिंग परसेप्शन' अलंकृता आर्ट गैलरी-हैदराबाद (2009)

• प्राकृत आर्ट गैलरी-चेन्नई (2010)

• महुआ आर्ट गैलरी-बैंगलोर (2011)

• संस्कृति गैलरी-कोलकाता (2015)

• रंगायन आर्ट गैलरी-भोपाल (2016)

• 'रंग आकार' स्कल्पचर्स ऑफ़ मध्यप्रदेश, कैनरी आर्ट गैलरी-इंदौर (2017)

• इन्टरनेशनल आर्ट एक्जीबिशन ‘खोज’–जयपुर (2018)

• ‘रंग ध्वनि’ आर्टिस्ट ऑफ़ मध्यप्रदेश, भारत भवन-भोपाल (2018)

• मित्रा, भोपाल द्वारा 'हेवनली हैंडमेड' ग्रुप शो (2018)

• स्टूडियो 98 द्वारा 'प्रदीप्ति' ग्रुप शो-भोपाल (2019)

• स्प्लेटर्स स्टूडियो-वडोदरा द्वारा ‘प्रकृति' ग्रुप शो ऑफ़ सेरेमिक (2019)

• विश्व रंग, भारत भवन, भोपाल (2019)

• रज़ा 100, एलायंस फ़्रैंचाइज़-भोपाल (2021)

• देवलालीकर कला वीथिका – इंदौर (2022)

• आर्टस्केप्स चंडीगढ़- एनुअल विमेन आर्टिस्ट एग्जीबिशन (2024)

• मणिकर्णिका आर्ट गैलरी अंतर्राष्ट्रीय ऑनलाइन प्रदर्शनी (2024)

• भारत भवन, भोपाल (2024)

• स्प्लैटर्स स्टूडियो, वडोदरा (2024) सहित अनेकसामूहिक प्रदर्शनियां

• 2 इंटरनेशनल एक्जीबिशन (सामूहिक)

• अनेक शिविरों और कार्यशालाओं में भागीदारी

संग्रह- भारत भवन सहित देश के अनेक स्थानों पर कलाकृतियाँ संग्रहीत

सन्दर्भ स्रोत : निधि चोपड़ा  से सीमा चौबे की बातचीत पर आधारित 

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