छाया : बॉम्बे हॉस्पिटल इंदौर डॉट कॉम
इंदौर। शहर की ऑडियोलॉजी और स्पीच पैथोलॉजी विशेषज्ञ डॉ. आशना जैन पिछले पांच वर्षों से अमेरिका की संस्थाओं के साथ मिलकर उन लोगों के जीवन में उम्मीद जगा रही हैं जिनकी बोलने और सुनने की क्षमता प्रभावित है या जिनके चेहरे किसी दुर्घटना अथवा बीमारी के कारण खराब हो चुके हैं। '
वे हर साल इस तरह के करीब 150 जरूरतमंद मरीजों का ऑपरेशन कराने में मदद कर रही हैं। ऑपरेशन से पहले से लेकर बाद तक उनके रहने खाने की व्यवस्था भी कराती हैं। वे इंदौर और आसपास के शहरों के साथ उन ग्रामीण इलाकों तक जाती हैं जहां डॉक्टरों की कमी है। वहां हर साल 6 से 7 निःशुल्क हियरिंग कैम्प आयोजित कर रही हैं और हर कैम्प में 200 से ज्यादा लोगों को फायदा पहुंचा रही हैं।
डॉ. आशना का मानना है कि यदि सुनने और बोलने की समस्याओं का उपचार शुरुआती चरण में हो जाए तो उन्हें कंट्रोल किया जा सकता है, लेकिन देर होने पर यह चुनौतीपूर्ण हो जाता है। आज देश में यह समस्या तेजी से बढ़ रही है और इसका एक बड़ा कारण मोबाइल, सोशल मीडिया और लंबे समय तक स्क्रीन टाइम है।
डब्ल्यूएचओ के अनुसार भारत में करीब 63 मिलियन लोग (6.3%) श्रवण हानि से प्रभावित हैं, जबकि 62% परिवारों में पिछले पांच सालों में किसी न किसी सदस्य को सुनने की समस्या हुई है। छोटे बच्चों में अत्यधिक स्क्रीन टाइम से भाषा विकास धीमा पड़ रहा है, सामाजिक कौशल घट रहे हैं और इसे वर्चुअल ऑटिज्म तक कहा जा रहा है। युवाओं में लगातार तेज आवाज में हेडफोन इस्तेमाल करने से उच्च फ्रीक्वेंसी हियरिंग लॉस के मामले भी बढ़ रहे हैं। इस समस्याओं से बचाने और इसके उपचार के लिए मेरी कोशिश आगे भी जारी रहेगी।
सन्दर्भ स्रोत : दैनिक भास्कर



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