ऋचा शरद

blog-img

ऋचा शरद

छाया : स्व संप्रेषित

• सारिका ठाकुर 

डिज़ाइनर

सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार शरद जोशी एवं रंगमंच की सुप्रसिद्ध अभिनेत्री इरफाना शरद की छोटी बेटी ऋचा शरद में लेखन और अभिनय के जन्मजात गुण विद्यमान हैं, हालाँकि वे आईपीएस अधिकारी बनना चाहती थीं लेकिन फिर  उन्होंने अपने लिए बिलकुल अलग सा रास्ता चुना। इतना अलग कि उनकी विशेषज्ञता को सरलता से परिभाषित नहीं किया जा सकता। वे  कहती हैं – मैं डिज़ाइनर हूँ, कमर्शियल टेक्नीकल डिज़ाइनर !

5 मार्च 1964 को भोपाल में जन्मी ऋचा तीन बहनों में दूसरी हैं। परिवार में एक स्वाभाविक सा साहित्यिक-सांस्कृतिक माहौल था लेकिन ऋचा जी की रुचियाँ अपनी दोनों बहनों से थोड़ी अलग रहीं। उन्हें साइकिल चलाना और खेलना-कूदना कहीं ज्यादा पसंद था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा भोपाल में केंद्रीय विद्यालय में हुई। कमला नेहरु हायर सेकेण्डरी स्कूल से उन्होंने ग्यारहवीं पास किया। स्कूल में हॉकी और टेबल टेनिस खिलाड़ी रहीं ।बचपन में कुछ नाटकों में काम किया और स्कूल में काफी एकल अभिनय किया। कॉलेज में वह  एनसीसी की कैडेट थीं। वर्ष 1981 में एनसीसी के एक आयोजन में बीस लड़कियां साइकिल चलाकर 11 दिनों में से भोपाल से अमरकंटक पहुंची थीं, जिनमें से एक ऋचा शरद थीं। यह उनके जीवन के कुछ अविस्मरणीय क्षणों में से एक है।

उन्होंने महारानी लक्ष्मीबाई कॉलेज से वर्ष 1983 में स्नातक की उपाधि हासिल की। इसी समय शरद जोशी जी फ़िल्मों और धारावाहिकों के लिए पटकथा लेखन में व्यस्त हो गए जिसके कारण उनके परिवार को भी मुंबई जाना पड़ा। ऋचा जी ने वहाँ श्रीमती नाथीबाई दामोदर ठाकरसी महिला महाविद्यालय (एस.एन.डी.टी.) से फ़ैशन डिज़ाइनिंग की पढ़ाई की, जो 1986 में पूरी हुई। संयोग ऐसा बना कि ऋचा जी ने जहाँ से इंटर्नशिप की थी, वहीं उनकी नौकरी पक्की हो गई।

बहुत ही कम उम्र में उन्हें प्रोडक्शन मैनेजर का पद मिल गया। उस कंपनी से कपड़े बाहर के देशों में निर्यात होते थे। तीन साल वहाँ काम करने के बाद उससे बड़ी कंपनी ‘क्रिएटिव केजुअल वेयर’ में बतौर डिज़ाइनर और प्रोडक्शन मैनेजर करने अवसर मिला जो कि उस समय बड़ा ब्रांड माना जाता था एवं उनके उत्पाद कई देशों में निर्यात होते थे। आम धारणा है कि डिज़ाइनर को प्रोडक्शन से कोई लेना देना नहीं होता लेकिन ऋचाजी का मानना है कि अगर प्रोडक्शन सीख लिया तो डिज़ाइनिंग करना सरल हो जाता है।

लगभग 15 सालों तक वस्त्र निर्यातक कंपनियों में काम करने के बाद ऋचा जी ने घरेलू बाजार के लिए भी डिज़ाइनिंग का काम किया। वर्टीकल इंटीग्रेटेड कम्पनियाँ – जहाँ कपड़ों के लिए धागे बनते हैं, वहीं बुने जाते हैं, वहीं डिज़ाईन और प्रिंट होकर सिले भी जाते हैं  है, के लिए डिज़ाइन करने में ऋचा जी को महारत हासिल है। ऐसी कई कंपनियों के नए ब्रांड उन्होंने शुरू किए और स्वतन्त्र रूप से उनका बाज़ार स्थापित किया। वर्ष 2010 से वह साझीदारी में मुंबई में ‘बालाजी फ़ैशंस’ नाम से एक इकाई का संचालन कर रही हैं जो एक लेडीज़ ब्रांड ‘एएनडी’  के लिए हाई क्वालिटी कपड़े बनाती है।

अपने करियर में ऋचा जी ने कई ब्रांड डिज़ाइन किये हैं। जैसे – स्कूलों, रेस्तरांओं और कम्पनियों के गणवेश और कुछ क्लाइंट्स के व्यक्तिगत कलेक्शन आदि। इसके अलावा उन्होंने पांच सालों तक एसएनडीटी कॉलेज में बतौर अतिथि विद्वान फ़ैशन मर्चैंडाइज़ की साप्ताहिक कक्षाएं भी लीं। साथ ही उन्होंने शाम को समय मिलने पर अन्य रचनात्मक क्षेत्रों में भी खुद को आजमाया। जैसे – नाटक अनुवाद, संवाद लेखन एवं नाटकों के लिए कॉस्ट्यूम डिज़ाइन आदि। वर्तमान में ऋचा जी मुंबई में रह रही हैं। उनके सुपुत्र ऋत्विक शरद फिल्म निर्देशक हैं।

सन्दर्भ स्रोत : स्व संप्रेषित एवं ऋचा जी से सारिका ठाकुर की बातचीत पर आधारित

© मीडियाटिक

Comments

Leave A reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *



पूजा गर्ग अग्रवाल : दर्द से भी ऊँची है जिनके हौसलों की उड़ान
ज़िन्दगीनामा

पूजा गर्ग अग्रवाल : दर्द से भी ऊँची है जिनके हौसलों की उड़ान

पूजा ने तीन साल बिस्तर पर रहकर 13 ऑपरेशन झेले। इस दौरान उन्होंने मानसिक और शारीरिक - दोनों स्तरों पर संघर्ष किया, लेकिन...

मालिनी गौड़ : गृहिणी से बनीं नेता और शहर को बना दिया नंबर वन
ज़िन्दगीनामा

मालिनी गौड़ : गृहिणी से बनीं नेता और शहर को बना दिया नंबर वन

भारतीय जनता पार्टी के विधायक लक्ष्मण सिंह गौड़ की 2008  में सड़क दुर्घटना में मृत्यु के बाद उनकी पत्नी मालिनी गौड़ को टि...

दिव्या पटवा : संवेदना से सजी है जिनकी कला की दुनिया 
ज़िन्दगीनामा

दिव्या पटवा : संवेदना से सजी है जिनकी कला की दुनिया 

भारत लौटने के बाद उन्होंने पारंपरिक तरीकों से हटकर एक ऐसी तकनीक विकसित की जो उनके काम को एक बहुआयामी उपस्थिति देती है। 

बाधाओं से लेती रही टक्कर भावना टोकेकर
ज़िन्दगीनामा

बाधाओं से लेती रही टक्कर भावना टोकेकर

अब भावना सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं रहीं, वे एक सोच, एक बदलाव की प्रतीक बन चुकी हैं।

मिट्टी से जीवन गढ़ती कलाकार - निधि चोपड़ा
ज़िन्दगीनामा

मिट्टी से जीवन गढ़ती कलाकार - निधि चोपड़ा

उस समय जब लड़कियाँ पारंपरिक रास्तों पर चलने की सोच के साथ आगे बढ़ रही थीं, निधि ने समाज की सीमाओं को चुनौती देते हुए कला...

स्नेहिल दीक्षित : सोशल मीडिया पर
ज़िन्दगीनामा

स्नेहिल दीक्षित : सोशल मीडिया पर , तहलका मचाने वाली 'भेरी क्यूट आंटी'    

इस क्षेत्र में शुरुआत आसान नहीं थी। उनके आस-पास जो थे, वे किसी न किसी लोग फ़िल्म स्कूल से प्रशिक्षित थे और हर मायने में उ...