पटना हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि तलाक के बाद भी बेटी की जिम्मेदारी से पिता मुंह नहीं मोड़ सकता है। उसके भरण-पोषण के साथ ही उसकी शादी का खर्च भी उठाना होगा। भले ही वह बेटी मां के साथ रह रही हो। कोर्ट ने तलाकशुदा पति को इस फैसले के चार महीने के भीतर बतौर भरण-पोषण फंड 20 लाख रुपए जमा कराने का निर्देश दिया।
यह आदेश न्यायमूर्ति पीबी बजन्थरी तथा न्यायमूर्ति सुनील दत्त मिश्रा की खंडपीठ ने श्वेता कुमारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।
बेटी का अधिकार है शिक्षा और विवाह का खर्च
कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यह अधिकार अविवाहित बेटी का वैधानिक हक है। कोर्ट ने पिता को निर्देश दिया कि वह चार महीने के भीतर अपनी बेटी के लिए बीस लाख रुपये की राशि जमा करे, जो उसकी शिक्षा और शादी के खर्च हेतु होगी।
2003 में हुई थी शादी, 2011 में तलाक की याचिका
पति-पत्नी की शादी 8 जनवरी 2003 को हुई थी और दिसंबर 2004 में बेटी का जन्म हुआ। वर्ष 2011 में पति ने फैमिली कोर्ट, पटना में मानसिक प्रताड़ना और अलगाव के आधार पर तलाक की याचिका दायर की। 5 नवंबर 2022 को फैमिली कोर्ट ने तलाक की अनुमति दे दी।
हाईकोर्ट में अपील दायर कर मां ने मांगा बेटी के लिए खर्च
निचली अदालत के फैसले के खिलाफ श्वेता कुमारी ने पटना हाईकोर्ट में अपील दायर की। उन्होंने मांग की कि तलाकशुदा पिता उनकी अविवाहित बेटी की पढ़ाई और विवाह के लिए वित्तीय सहायता दे। कोर्ट ने सभी पक्षों की आर्थिक स्थिति का मूल्यांकन करने के बाद यह आदेश पारित किया।
सन्दर्भ स्रोत : विभिन्न वेबसाइट
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