पटना हाईकोर्ट  : तलाकशुदा महिला अपने

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पटना हाईकोर्ट  : तलाकशुदा महिला अपने
दूसरे पति से गुजारा भत्ता पाने की हकदार

पटना हाईकोर्ट ने अपने अहम फैसला में कहा कि पहले पति से तलाकशुदा महिला अपने दूसरे पति से भरण पोषण पाने का हकदार हैं। हालांकि कोर्ट ने पत्नी को दी गई 20 हजार रुपये का भरण पोषण आदेश को निरस्त करते हुए परिवार न्यायालय को पहले संपत्ति के बारे में पूरी जानकारी लेकर भरण पोषण की रकम देने का निर्णय लेने का आदेश दिया। न्यायमूर्ति विवेक चौधरी की एकलपीठ ने रवि प्रकाश सक्सेना उर्फ रवि प्रकाश की ओर से दायर अर्जी पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया।

आवेदक की ओर से कोर्ट को बताया गया कि पत्नी से आवेदक की जान-पहचान एक वैवाहिक साइट पर हुई थी और उनका विवाह हो गया। उनका कहना था कि पत्नी को पहली शादी टूटने (डिवोर्स) के समय करीब 40 लाख रुपये मिले थे। उसके पास स्वतंत्र रूप से अपना भरण-पोषण करने के लिए पर्याप्त स्रोत और साधन थे। उन्होंने आरोप लगाया कि गुजारा भत्ता या भरण-पोषण भत्ते के रूप में मोटी रकम कमाने के एकमात्र उद्देश्य से तमाम युवकों को ठगने की नियत से शादी की है।

यही नहीं जब आवेदक के साथ तनावपूर्ण संबंधों के दौरान भी पत्नी ने एक अन्य व्यक्ति को वर के रूप में ढूंढना शुरू कर दिया जिससे वह विवाह कर सके। आवेदक ने परिवार न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें भरण-पोषण के रूप में 20 हजार रुपये देने के आदेश दिया गया था। पहले पति से गुजारा भत्ता के रूप में 40 लाख रुपये मिले थे। साथ ही वह शैक्षणिक रूप से काफी योग्य है। न केवल अपनी आजीविका के लिए बल्कि एक शानदार जीवन जीने के लिए एक अच्छी रकम कमाने में सक्षम है।

आवेदक अपने वृद्ध और बीमार माता-पिता, जिनकी आयु 80 वर्ष और 75 वर्ष है, के प्रति दायित्व भी है। उनका कहना था कि विवाह के समय पत्नी ने अपने को अविवाहित घोषित करते हुए एक शपथ पत्र दिया था। उनका विवाह 16 फरवरी, 2020 को आर्य समाज मंदिर, गाजियाबाद में हिंदू वैदिक रीति और अनुष्ठान के अनुसार हुआ था। उनका कहना था कि पर्याप्त कारण के बिना अपने पति के साथ रहने से इनकार करने पर पत्नी भरण-पोषण पाने की हकदार नहीं है।

वहीं पत्नी ने 15 लाख रुपये दहेज की मांगने और शादी के बाद, उसे शारीरिक और मानसिक यातना देने का आरोप लगाई। जिसके परिणामस्वरूप उसका गर्भपात हो गया। कोर्ट ने दोनों पक्षों की ओर से पेश दलील को सुनने के बाद परिवार न्यायालय के आदेश को निरस्त करते हुए कहा कि पहले दोनों पक्षों से संपति और आर्थिक दायित्व के बारे में शपथ पत्र ले पक्षों का हैसियत जान भरण पोषण रकम तय करें।

सन्दर्भ स्रोत : विभिन्न वेबसाइट

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