छाया: नव दुनिया
जबलपुर। कुटुंब न्यायालय ने अपने अहम फैसले में कहा है कि सिर्फ वैध विवाहिता को पति से भरण-पोषण प्राप्त करने का अधिकार है। अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश अशोक गुप्ता की अदालत ने पूरे मामले का अवलोकन करने के दौरान पाया कि आवेदिका यह प्रमाणित करने में असफल रही है कि वह अनावेदक की वैध विवाहित पत्नी है। न्यायालय ने महिला द्वारा भरण-पोषण के लिए धारा-125 के तहत दायर आवेदन खारिज कर दिया।
गढ़ा शाहीनाका निवासी 24 वर्षीय ममता पटेल की तरफ से दायर आवेदन में नरसिंहपुर निवासी रामभजन कुर्मी से भरण पोषण की राशि दिलाए जाने की मांग की गई थी। आवेदिका का दावा था कि उसने अनावेदक रामभजन से सात जुलाई 2014 को त्रिपुरी सुंदरी मंदिर में विवाह किया था। अनावेदक रामभजन गोटेगांव रेलवे कैंटीन में कार्यरत था, उसे अपने साथ गोटेगांव ले गया। जहां किराए के मकान में उसे रखा।
आवेदिका का कहना था कि चाय की दुकान से घर का खर्च नहीं चल रहा था, जिस पर उसने चालीस हजार का लोन लेकर अपने कथित पति रामभजन को दिया। इसके बाद जब वह गर्भवती हुई तो उसका पति उसे मायके से रुपये लाने व उसके पिता के मकान पर हक दिलाने की मांग कर उसे प्रताड़ित करने लगा, जिसके बाद से वह अलग रह रही है।
अनावेदक की तरफ से आपत्ति पेश करते हुए दलील दी गई कि आवेदिका उसकी पत्नी नहीं है, वह जबरन भरण पोषण की राशि की मांग कर रही है। उसके पास ऐसे कोई साक्ष्य नहीं हैं, जिससे यह साबित हो सके कि वह उसकी वैध विवाहित पत्नी है। सुनवाई पश्चात न्यायालय ने सभी तथ्यों पर गौर करने के बाद आवेदिका के आवेदन को खारिज कर दिया।
संदर्भ स्रोत: अमर उजाला



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