6 गांव को गोद लेकर डॉ. सुनीता ने बदल दी महिलाओं की जिंदगी

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6 गांव को गोद लेकर डॉ. सुनीता ने बदल दी महिलाओं की जिंदगी

छाया : आईईएस यूनिवर्सिटी डॉट एसी डॉट इन

आईईएस यूनिवर्सिटी भोपाल की प्रो चांसलर डॉ. सुनीता सिंह अकादमिक व मैनेजमेंट के कामों से इतर भोपाल के आस-पास के गांवों में रह रहे किसानों के कौशल विकास पर भी काम कर रही 10 साल पहले उन्होंने कॉलेज कैंपस के आस-पास बसे 6 गांवों को गोद लेने का मन बनाया। यहां जाने के बाद समझ में आया कि यह लोग सिर्फ खेती पर ही आश्रित हैं। उन्होंने सबसे पहले महिलाओं को स्वावलम्बन की राह से जोड़ा। इन गांवों की 200 महिलाओं को सिलाई का प्रशिक्षण दिया ताकि ये घर पर रहकर ही बैग्स व सिलाई कर कुछ आमदनी बढ़ा सकें।

महिलाओं को सशक्त बनाया

सुनीता ने भोपाल से 10 किमी दूर 6 गांव बरखेड़ी बाजयपत, खारपी, सिकंदराबाद, कलखेड़ा, सेमरी, सर्वर को एडॉप्ट किया है। इसकी शुरुआत तब हुई थी, जब वे इन गांवों में महिला स्वास्थ्य पर एक कैंपेन के लिए महिलाओं से मिलने पहुंची। तब पता चला कि गांव में महिलाएं पूरी तरह पुरुषों पर निर्भर हैं। तब लगा प्रोजेक्ट की तरह इन्हें लेकर महिलाओं को सशक्त करना चाहिए। महिलाओं की जिंदगी से जुड़ने के बाद धीरे-धीरे उनके पूरे परिवार और समाज से कब जुड़ गई, पता ही नहीं चला। 

फार्मिंग संग पैकेजिंग भी सिखाई 

अगले चरण में इन गांवों के 500 किसानों को मधुमक्खी पालन और मशरूम उगाने का प्रशिक्षण दिया। इतना ही नहीं, किसानों को मशरूम की पैकेजिंग, इसकी मार्केटिंग और मार्केट तक पहुंचाने का सही तरीका क्या है, इसके लिए भी तैयार किया। अब इस गांव के किसानों के बनाए प्रोडक्ट्स हाट बाजारों तक भी जा पहुंचे हैं। 

ऑर्गेनिक फार्मिंग सीखकर किसानों ने अब अपना लोकल च्यवनप्राश का बैंड भी खोला है, जिसे वे मार्केट तक पहुंचा रहे हैं। किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्हें एक नेचुरल मॉस्क्यूटो रिपैलेंट (मच्छर भगाने के लिए बनाई गई धूप) बनाना भी सिखाया, जिसे अब कई कंपनियां सीएसआर के तहत इनसे सीधे खरीद रही हैं।

सन्दर्भ स्रोत : दैनिक भास्कर

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