केरल हाईकोर्ट : माता-पिता के कर्तव्यों

blog-img

केरल हाईकोर्ट : माता-पिता के कर्तव्यों
से अलग नहीं हो सकते तलाकशुदा जोड़े

केरल हाईकोर्ट ने कहा है कि अगर कोई जोड़ा तलाकशुदा भी हो तो भी वे जीवन भर माता-पिता ही रहते हैं। जस्टिस देवन रामचंद्रन और एम.बी. स्नेहलता की पीठ ने कहा कि दोनों माता-पिता को अपने बच्चे का साथ देना चाहिए, भले ही वे अब पति-पत्नी न हों। कोर्ट ने कहा, “माता-पिता पति-पत्नी के रूप में तलाकशुदा हो सकते हैं, लेकिन माता-पिता के रूप में कभी नहीं। बच्चों को, खासकर विशेष जरूरतों वाले बच्चों को, दोनों माता-पिता के प्यार और देखभाल का अधिकार है।" 

बेटी के जीवन का हिस्सा बनने के लिए पिता ने दायर किया अवमानना का मामला 

अदालत एक पिता द्वारा दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रही थी। रिपोर्ट के अनुसार, उसने कहा कि उसकी पूर्व पत्नी उसे अपनी छोटी बेटी से मिलने नहीं दे रही थी, जबकि पहले अदालत ने ऐसा करने का निर्देश दिया था। उसने अदालत को बताया कि वह मां के खिलाफ सजा की मांग नहीं कर रहा है, बस बच्ची की स्कूली शिक्षा और थेरेपी में हिस्सा लेना चाहता है। मां के वकील ने कहा कि उसने बच्ची को पिता से मिलने से कभी नहीं रोका, लेकिन बच्ची खुद उसके साथ नहीं जाना चाहती थी। 

अदालत ने बच्ची से बात की और महत्वपूर्ण निर्देश दिए 

जजों ने बच्ची से बात की और देखा कि वह अपनी मां से बहुत जुड़ी हुई थी, न केवल एक माता-पिता के रूप में, बल्कि एक देखभाल करने वाले के रूप में भी। अदालत ने कहा कि बच्ची इस विचार से परेशान हो सकती है कि कानूनी मामले से उसकी मां के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। हाईकोर्ट ने यह भी नोट किया कि बच्ची की विशेष जरूरतें हैं। उसे दोनों माता-पिता से पूरी देखभाल और ध्यान मिलना चाहिए। इस बात पर जोर दिया गया कि ध्यान हमेशा बच्चे के अधिकारों पर होना चाहिए, न कि माता-पिता के बीच किसी विवाद पर।

पिता को मिली अनुमति

केरल उच्च न्यायालय ने पिता को बच्ची के थेरेपी सत्रों में शामिल होने और उसकी शिक्षा और भलाई की निगरानी करने की अनुमति दी। यह भी कहा कि उसे बच्ची को कोई भावनात्मक परेशानी नहीं पहुंचानी चाहिए। मां के वकीलों ने आश्वासन दिया कि वह भविष्य में इसका समर्थन करेंगी। इसके साथ ही अदालत ने अवमानना का मामला बंद कर दिया। अदालत ने दोनों माता-पिता को याद दिलाया कि उनकी बेटी का भविष्य उनकी साझा देखभाल पर निर्भर करता है। कोर्ट ने कहा,  “माता-पिता को एक-दूसरे के साथ शांति बनानी चाहिए और बच्चे की प्रगति में साथ मिलकर भागीदार बनना चाहिए।”

सन्दर्भ स्रोत : विभिन्न वेबसाइट

Comments

Leave A reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *



दिल्ली हाईकोर्ट : दोस्ती दुष्कर्म का लाइसेंस नहीं है
अदालती फैसले

दिल्ली हाईकोर्ट : दोस्ती दुष्कर्म का लाइसेंस नहीं है

आरोपी की जमानत याचिका रद करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने की सख्त टिप्पणी

राजस्थान हाईकोर्ट : दूसरी शादी शून्य घोषित
अदालती फैसले

राजस्थान हाईकोर्ट : दूसरी शादी शून्य घोषित , न होने पर भी महिला भरण-पोषण की हकदार

दूसरी शादी-मेंटेनेंस विवाद, हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट का आदेश पलटा  महिला के भरण-पोषण पर मामला वापस भेजा फैमिली कोर्ट में...

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट : लंबे समय तक
अदालती फैसले

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट : लंबे समय तक , पति-पत्नी का अलग रहना मानसिक क्रूरता

हाईकोर्ट ने कहा -47 साल का रिश्ता टूटा, पत्नी को 10 लाख देना होगा, तलाक की अर्जी मंजूर

राजस्थान हाईकोर्ट : बिना तलाक लिए दूसरी शादी
अदालती फैसले

राजस्थान हाईकोर्ट : बिना तलाक लिए दूसरी शादी , करने वाली माँ से छीनी बच्चे की  कस्टडी

कोर्ट ने फैसले में कहा- महिला सहानुभूति की हकदार नहीं, अब दादा के पास रहेगा पोता

इलाहाबाद हाईकोर्ट : पत्नी-बेटी को देना ही होगा गुजारा भत्ता
अदालती फैसले

इलाहाबाद हाईकोर्ट : पत्नी-बेटी को देना ही होगा गुजारा भत्ता

न्यायालय ने निचली अदालत के आदेश को सही ठहराया और पति की आर्थिक स्थिति को देखते हुए गुजारा भत्ता देने की क्षमता को स्वीका...

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट : विवाहिता शादी
अदालती फैसले

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट : विवाहिता शादी , के वादे पर संबंध बनाए तो यह व्यभिचार

कोर्ट ने यह भी कहा कि विवाह का वादा अगर किसी अविवाहित महिला से किया जाए, तब वह समझ में आता है लेकिन जब महिला पहले से विव...