दिल्ली हाईकोर्ट : पुरुषों की मानसिकता नहीं बदली,

blog-img

दिल्ली हाईकोर्ट : पुरुषों की मानसिकता नहीं बदली,
कार्यस्थल पर महिलाओं का उत्पीड़न जारी

नई दिल्ली। कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न मामले में मजिस्ट्रेट अदालत के निर्णय को बरकरार दिल्ली हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि शिक्षा या उच्च सरकारी पद किसी महिला को यौन उत्पीड़न से सुरक्षा नहीं दे सकते हैं। अदालत ने कहा कि कश्मीर प्रशासनिक सेवा की सदस्य व एक योग्य महिला होने के बावजूद शिकायतकर्ता भी अपने कार्यस्थल पर भी उत्पीड़न से नहीं बच सकी।

न्यायमूर्ति नीना कृष्णा बंसल की पीठ ने कहा कि यह याचिका अपने कार्यस्थल पर अन्याय का शिकार हुई एक महिला के न्याय पाने के संघर्ष का एक और ज्वलंत उदाहरण है। अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि महिलाओं के लिए एक सुरक्षित कार्यस्थल आवश्यक है।

यौन उत्पीड़न के मामले में संज्ञान लेने के मजिस्ट्रेट अदालत के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए अदालत ने दिल्ली पुलिस के दो क्लोजर रिपोर्ट खारिज करने के चीफ मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट (सीएमएम) के आदेश को बरकरार रखा।

अदालत ने सीएमएम की इस बात के लिए सराहना की कि उन्होंने शिकायतकर्ता का साथ दिया, जबकि आरोपित ने शिकायतकर्ता को अपने पावर का इस्तेमाल करके हतोत्साहित किया था। अदालत ने खेद व्यक्त करते हुए कहा कि कार्यस्थल पर पुरुषों की मानसिकता में कोई बदलाव नहीं आया है।

सन्दर्भ स्रोत : विभिन्न वेबसाइट

Comments

Leave A reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *



सुप्रीम कोर्ट  : वैवाहिक विवादों में आपराधिक
अदालती फैसले

सुप्रीम कोर्ट  : वैवाहिक विवादों में आपराधिक , शिकायतों की गहन जांच की आवश्यकता

सुप्रीम कोर्ट ने दहेज उत्पीड़न कानून के दुरुपयोग पर जताई चिंता, देवर के विरुद्ध दहेज उत्पीड़न का मामला खारिज किया

दिल्ली हाईकोर्ट : माता-पिता के जीवित रहते
अदालती फैसले

दिल्ली हाईकोर्ट : माता-पिता के जीवित रहते , पोते-पोती को संपत्ति का हिस्सा नहीं

महिला की ओर से दायर दीवानी मुकदमे को खारिज कर दिया। इसमें उसने अपने दिवंगत दादा के स्वामित्व वाली पश्चिमी दिल्ली की एक स...

कलकत्‍ता हाईकोर्ट : पत्‍नी कमाऊ, तो भी गुजारे भत्‍ते की हकदार
अदालती फैसले

कलकत्‍ता हाईकोर्ट : पत्‍नी कमाऊ, तो भी गुजारे भत्‍ते की हकदार

कोर्ट ने कहा कि तलाक के बाद महिला का खर्च उठाना उसके पूर्व पति का सामाजिक, नैतिक व कानूनी दायित्व है। इससे बचा नहीं जा स...

बॉम्बे हाईकोर्ट-औरंगाबाद बेंच : व्याभिचार के आरोप
अदालती फैसले

बॉम्बे हाईकोर्ट-औरंगाबाद बेंच : व्याभिचार के आरोप , से महिला पेंशन से वंचित नहीं हो सकती

बेंच ने बताया कि पत्नी को पेंशन के लाभ से तभी रोका जा सकता है जब वह व्याभिचार के आधार पर कानूनी रूप से अलग हो गई हो।

केरल हाईकोर्ट : इस्लाम में बहुविवाह तभी मान्य,
अदालती फैसले

केरल हाईकोर्ट : इस्लाम में बहुविवाह तभी मान्य, , जब पत्नियों के बीच न्याय कर सके पति

कोर्ट ने कहा - पति को हर पत्नी के साथ निष्पक्ष होना जरूरी, तभी बहुविवाह इस्लामिक कानून में वैध