बॉम्बे हाईकोर्ट ने बेटियों को नियुक्त किया

blog-img

बॉम्बे हाईकोर्ट ने बेटियों को नियुक्त किया
बिस्तर पर पड़े बुजुर्ग का अभिभावक

बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2 बेटियों को उनके बुजुर्ग पिता का अभिभावक नियुक्त किया है, जो बिस्तर पर पड़े हैं। दरअसल, हाईकोर्ट ने हार्ट अटैक के दौरान ब्रेन इंजरी के चलते बिस्तर पर पड़े 73 वर्षीय एक व्यक्ति के लिए उनकी दो बेटियों को यह कहते हुए अभिभावक नियुक्त किया कि वह (बुजुर्ग) अपनी या अपनी संपत्ति की देखभाल करने में असमर्थ हैं। जस्टिस अभय आहूजा की बेंच ने अपने आदेश में कहा कि अदालतें ऐसी स्थितियों में मूकदर्शक बनकर नहीं रह सकतीं। 

हाईकोर्ट करते हैं पैरेंस पैट्रिया का इस्तेमाल 

हाईकोर्ट ने दोनों बेटियों को उनके पिता का अभिभावक नियुक्त करते हुए कहा कि बुजुर्ग मानसिक बीमारी से पीड़ित हैं और खुद की देखभाल करने या अपनी संपत्ति का प्रबंधन करने में असमर्थ हैं। जस्टिस आहूजा ने कहा, ‘‘हमारे देश की उच्च अदालतें ‘पैरेंस पैट्रिया’ क्षेत्राधिकार (स्वयं की रक्षा करने में असमर्थ नागरिकों का कानूनी रक्षक) का प्रयोग करती हैं, क्योंकि वास्तविक जीवन की स्थिति जैसे मामलों में अदालतें मूकदर्शक नहीं रह सकतीं।’’ 

हार्ट अटैक से बुजुर्ग को मस्तिष्क में लगी थी चोट 

याचिका के अनुसार, 2024 में हार्ट अटैक के दौरान बुजुर्ग को मस्तिष्क में चोट लगी थी जिससे वह अर्ध-चेतन और अक्षम अवस्था में हैं तथा आज तक बिस्तर पर ही हैं। इसमें हाईकोर्ट से दोनों बेटियों को उनके पिता का अभिभावक नियुक्त करने का आग्रह किया गया था। हाईकोर्ट ने पाया कि व्यक्ति कोई भी निर्णय नहीं ले सकता, उन्हें हर वक्त देखभाल की जरूरत है। कोर्ट ने कहा कि यह मंदबुद्धि का मामला नहीं है, बल्कि यह मानसिक बीमारी का मामला है, जो दिल का दौरा पड़ने के बाद हुई है। 

जस्टिस आहूजा ने कहा, पागलपन का मतलब है ऐसा मानसिक असंतुलन जो व्यक्ति को सामान्य जीवन के फैसले लेने में अक्षम बना दे। ऐसे मामलों में हाईकोर्ट को कानून के तहत व्यक्ति और उसकी संपत्ति पर अधिकार होता है। 

सन्दर्भ स्रोत : विभिन्न वेबसाइट

Comments

Leave A reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *



पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट : POCSO एक्ट में समझौता मान्य नहीं
अदालती फैसले

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट : POCSO एक्ट में समझौता मान्य नहीं

कोर्ट ने कहा नाबालिगों से यौन शोषण के मामलों में समझौता स्वीकार्य नहीं, दुष्कर्म का मामला रद्द करने से इनकार

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट   : तलाक के बाद पत्नी का दर्जा खत्म, पति की संपत्ति पर नहीं किया जा सकता दावा
अदालती फैसले

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट   : तलाक के बाद पत्नी का दर्जा खत्म, पति की संपत्ति पर नहीं किया जा सकता दावा

पत्नी ने मकान पर किया था कब्जा; सिविल-कोर्ट के आदेश के खिलाफ लगाई याचिका खारिज

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट  : बेटी को भरण-
अदालती फैसले

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट  : बेटी को भरण- , पोषण देना पिता की नैतिक जिम्मेदारी

हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद कहा कि, कॉन्स्टेबल अपनी पिता की जिम्मेदारी से भाग नहीं सकता और उसे अपनी बेटी को भ...

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट : तलाक के सात माह बाद
अदालती फैसले

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट : तलाक के सात माह बाद , दहेज उत्पीड़न का केस, क़ानून का दुरूपयोग

कोर्ट ने कहा -पति-पत्नी के बीच का विवाद आपसी सहमति से सुलझ चुका था और तलाक भी हो गया था, इसलिए अब पति के खिलाफ आपराधिक क...