ग्वालियर की वंशिका का अनोखा नवाचार : कचरे की फोटो

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ग्वालियर की वंशिका का अनोखा नवाचार : कचरे की फोटो
अपलोड करते ही मिलेगी रीसाइकल की जानकारी

छाया : सन स्कीप्स (प्रतीकात्मक) 

कचरे की फोटो डालते ही AI मॉडल बताएगा कि उसमें मौजूद क्या-क्या रिसाइकल हो सकता है। किस तरह से उस कचरे को एक उपयोगी वस्तु में बदल सकते हैं। यह वेस्ट मैनेजमेंट मॉडल ग्वालियर की स्टूडेंट ने बनाया है। जिसे राजधानी में पेश किया गया। 

बता दें कि  राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (आरजीपीवी) में हाल ही में आयोजित सृजन 2025 नवाचार प्रदर्शनी में प्रदेशभर के 150 बेहतरीन इनोवेटिव प्रोजेक्ट्स ने अपने आइडियाज पेश किए। इन प्रोजेक्ट्स में ग्वालियर की आईटीएम यूनिवर्सिटी की बीटेक स्टूडेंट वंशिका यादव का बिन बडी एआई प्रोजेक्ट सबसे व्यावहारिक और पर्यावरण हितैषी प्रयासों में से एक बनकर उभरा। 

वंशिका ने अपने प्रोजेक्ट के बारे में बताया कि यह एक एआई आधारित मॉडल है, जो इमेज क्लासिफिकेशन (image classification technique) तकनीक के जरिए वेस्ट मैनेजमेंट (waste management) में मदद करता है। जब किसी कचरे के ढेर की तस्वीर इस सिस्टम में अपलोड की जाती है, तो यह ऑटोमैटिकली उस कचरे की प्रकृति की पहचान करता है। जैसे कि वह ई-वेस्ट, बायोग्रेडेबल, रिसाइकल योग्य या हानिकारक (हजार्ड्स) है। 

पर्यावरण संरक्षण में उपयोगी तकनीक 

यह नवाचार खासतौर पर शहरी क्षेत्रों के लिए बेहद उपयोगी है, जहां हर दिन बड़ी मात्रा में मिश्रित कचरा निकलता है। यह सिस्टम न केवल स्वच्छता मिशन को मजबूती देगा, बल्कि स्मार्ट सिटी (Smart City Mission) की दिशा में भी एक कारगर कदम साबित हो सकता है। इस तकनीक से कचरे के सटीक निपटान से पर्यावरण प्रदूषण में कमी आ सकती है और रिसोर्सेज का स्मार्ट उपयोग हो सकेगा। 

स्टार्टअप में बदलने की तैयारी 

वंशिका ने बताया कि भविष्य में इस तकनीक को आगे बढ़ाते हुए इसे एक मोबाइल एप्लिकेशन या पोर्टेबल डिवाइस के रूप में विकसित करने की योजना है। जिससे इसे आम लोग, नगर निगम या वेस्ट मैनेजमेंट एजेंसियां आसानी से उपयोग कर सकें। सृजन-2025 के दौरान विशेषज्ञों ने वंशिका के प्रोजेक्ट को सराहते हुए कहा कि यह नवाचार तकनीकी समझ, सामाजिक उपयोगिता और पर्यावरणीय संतुलन का बेहतरीन मेल है।

ऐसे काम करेगा बिन बडी एआई मॉडल 

• यह सिस्टम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उस उपयोग को दर्शाता है, जो सीधा आम लोगों और नगर निकायों के काम का हो सकता है। 

•  उपयोगकर्ता को बस किसी कचरे की फोटो अपलोड करनी है। 

• सिस्टम तुरंत न केवल कचरे की पहचान कर लेता है, बल्कि यह भी बताता है कि उसे किस प्रकार रीयूज, रिसाइकल या सुरक्षित तरीके से नष्ट किया जा सकता है। 

• यह भी सुझाव देता है कि उस कचरे में ऐसी कौन सी चीजें हैं। जिन्हें ट्रांसफार्म कर किसी अन्य उपयोग में लाया जा सकता है। 

सन्दर्भ स्रोत : दैनिक भास्कर 

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