वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स : भारतीय टीम का

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वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स : भारतीय टीम का
प्रतिनिधित्व करेंगी एथलीट मंजू यादव

छाया : बंसल न्यूज

भोपाल। मध्य प्रदेश की प्रतिभाशाली धाविका मंजू यादव जुलाई में जर्मनी में आयोजित होने वाली वर्ल्ड यूनिवर्सिटी में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व करेगी। मंजू का नाम आज देश की शीर्ष एथलीटों में शुमार होता है। हालांकि समय ऐसा भी आया जब प्रदर्शन में गिरावट के चलते कई बार मैदान छोड़ने का विचार आया, लेकिन खुद के आत्मविश्वास और प्रशिक्षकों की सीख ने पुनः मैदान पर लौटने का हौसला दिया। मंजू ने हाल ही में कोच्चि में आयोजित 28वें नेशनल फेडरेशन एथलेटिक्स चैंपियन में 3000 मीटर स्टीपलचेस में 10:34:08 सेकंड का समय निकाल कर मप्र के लिए स्वर्ण पदक जीता है। 

भोपाल के अवधपुरी में रहने वाली मंजू ने अपनी बहन की प्रेरणा से इस खेल का चुनाव किया। 2016 में मप्र राज्य एथलेटिक्स अकादमी में आने के बाद मंजू की किस्मत बदली। तब से अब तक मंजू ने पीछे मुडकर नहीं देखा।  हालांकि कुछ साल चोट की समस्या के चलते वह मनचाहा प्रदर्शन नहीं कर पा रही थीं। 22 वर्षीय मंजू ने नौ सालों में मप्र के लिए 11 राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में भाग लिया है। इसमें से तीन स्वर्ण, तीन रजत व दो कांस्य सहित आठ पदक जीते हैं। 

उत्तराखंड राष्ट्रीय खेलो में मंजू ने मप्र के लिए रजत पदक जीता था। भोपाल के बीयू से स्नातक करने के बाद वह बेंगलुरु बीपीईएस में पोस्ट ग्रेजुएशन पूरा कर रही हैं। इस बार इंटर यूनिवर्सिटी में शानदार प्रदर्शन कर वर्ल्ड यूनिवर्सिटी के क्वालीफाई कर लिया है। 28 से 30 अप्रैल तक भुवनेश्वर में आयोजित चैंपियनशिप में मंजू ने महिला वर्ग में नए रिकार्ड 10:00:14 सेकंड के साथ स्वर्ण पदक जीता था। इसी आधार पर उनका चयन जर्मनी में 16 से 27 जुलाई तक होने वाले वर्ल्ड यूनिवर्सिटी के लिए भारतीय दल में हुआ है। उनका लक्ष्य देश के लिए स्वर्ण पदक जीतना है।

प्रशिक्षक के विश्वास ने बनाया सफल एथलीट

मंजू बताती हैं मेरे करियर में एक समय ऐसा भी आया था जब मैं पूरा प्रयास करने के बाद भी लक्ष्य तक नहीं पहुंच पा रहीं थी। मैंने भी सोच लिया कि अब बस खेल छोड़ो और पढ़ाई पर ध्यान दो, लेकिन मेरे प्रशिक्षक ने मेरी क्षमता और प्रतिभा के आधार पर मुझे और बेहतर करने के लिए प्रेरित किया। उनके मार्गदर्शन से मैंने ट्रैक में वापसी की और कई पदक जीते।  मंजू के पिता अजयसिह यादव किसान और मां गृहिणी है। सफलता का श्रेय मप्र अकादमी, कोच के साथ ही अपने परिवार का भी देती है। 

मेहनत का फल जरूर मिलता है

मप्र  राज्य एथलेटिक्स अकादमी के मुख्य कोच एसके प्रसाद ने बताया कि मंजू प्रतिभाशाली है, उसे लय पकड़ने में थोड़ा समय लगा, हर प्रशिक्षक खिलाड़ी की प्रतिभा को जानता है। मुझे मंजू पर विश्वास था, वह एक दिन प्रदेश और देश का नाम रोशन करेगी। इस साल वह एक के बाद एक सफलता प्राप्त कर रही है। उम्मीद है वह जर्मनी में भी सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर देश के लिए पदक जीतेगी। 

सन्दर्भ स्रोत : नवदुनिया

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