• श्री अन्न' की 150 से अधिक किस्मों का संरक्षण
• बनीं मिलेट्स की ब्रांड एंबेसडर
• बीज बैंक बनाने नहीं ली कोई सरकारी मदद
डिंडोरी।प्रदेश व देश से विलुप्त हो रहे मोटे अनाज की खेती अब यदा कदा ही की जाती है, किन्तु मध्य प्रदेश के जनजाति बहुल डिंडौरी की लहरी बाई के पास अनाज की उन किस्मों के बीज हैं, जो लोगों की थाली ही, नहीं खेतों से भी गायब हो गए हैं। गायब हो रहे ऐसे मोटे अनाजों का मिलेट्स बैंक का चलाने वाली इस महिला की देश भर में प्रशंसा हो रही है। इतना ही नहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनके इस बीज बैंक की प्रशंसा करते हुए इसे अन्य लोगों के लिए प्रेरणादायक बताया है। सीएम शिवराज सिंह चौहान भी एक कार्यक्रम में लहरी की तारीफ कर चुके हैं।
• कौन हैं लहरी बाई
आदिवासी जिला डिंडोरी से करीब 60 किलोमीटर दूर बजाग विकासखंड के सिलपीड़ी गांव में रहने वाली 27 वर्षीय लहरी बाई करीब एक दशक से मिलेट्स बैंक चला रही हैं। उन्होंने अपने छोटे से कच्चे आवास के एक कमरे में विलुप्त प्रजातियों का बीज बैंक तैयार किया है, इनमें से कई अनाज ऐसे हैं, जिनके नाम जानने वाले भी अब बहुत कम लोग बचे हैं। वे अपने गांव सहित आसपास के दो दर्जन से अधिक गांव के किसानों को अनाज के बदले मोटे बीज उपलब्ध कराती हैं। खास बात यह है कि लहरी बाई ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं हैं, उन्हें केवल अक्षर ज्ञान है और उन्होंने सरकारी मदद लिए बिना अपने दम पर यह बीज बैंक तैयार किया है।
• देसी बीज बैंक में 150 से ज्यादा वैरायटी
लहरी बाई ने दो कमरे के अपने घर के एक कमरे को बीज भंडार में तब्दील कर लिया है। यहां कुटकी, सांवा, मडुआ और कोदो जैसे छोटे-मोटे अनाजों समेत 150 किस्मों के दुर्लभ बीजों का कलेक्शन मौजूद है। लहरी बाई ने बड़ी-बड़ी मिट्टी की कोठी भी बनाई है, ताकि अनाजों को लंबे समय के लिए सुरक्षित रखा जा सके।
• लोगों ने उड़ाया उपहास
इस आदिवासी महिला ने उपहासों की परवाह किए बिना ही कड़ी मेहनत और लगन से मिलेट के बीजों का संरक्षण किया और अपना देसी बीज बैंक बनाया। लहरी बाई बताती है ‘हम बचपन से ही मोटे अनाज खाते आ रहे हैं। मुझे लगने लगा कि अब ये बीज विलुप्त हो जाएंगे। मैं उन्हें अपने घर पर इकट्ठा करने लगी। उसके लिए मुझे सुबह से आसपास के गांव में जाना पड़ता। कई लोगों की बात सुनती, लेकिन मैंने हार नही मानी। मैंने बीज लाकर पहले खुद अपने खेत में लगाया और जब बीज ज्यादा हो गया तो उसे बीज बैंक में रखती गई। लोगों को घर-घर जा जाकर समझाती कि मोटे अनाज खाने से शरीर ठीक रहता है। इन मोटे अनाज में कैल्शियम, आयरन, जिंक, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, पोटेशियम जैसे खनिज पाए जाते हैं जिससे ताकत मिलती है। उसके फायदे बताए तो फिर धीरे-धीरे लोग मुझसे ही बीज मांगने लगे। मैं गांव-गांव जाकर बीज बांटने लगी। धीरे-धीरे ग्रामीणों को भी समझ में आ रहा है और उसकी खेती फिर शुरू कर रहे हैं।‘
• मिलेट्स एंबेसडर घोषित, गणतंत्र दिवस समारोह में बनाया मुख्य अतिथि
'श्रीअन्न’ के क्षेत्र में बेहतरीन काम पर डिंडोरी के कलेक्टर विकास मिश्रा ने उन्हें जिले का मिलेट्स ब्रांड एंबेसडर घोषित किया है। लहरी बाई की यह उपलब्धि बेहद खास इसलिए भी है क्योंकि यूनेस्को ने 2023 को ईयर ऑफ मिलेट्स घोषित किया है। इतना ही नहीं, कलेक्टर ने गणतंत्र दिवस समारोह में उन्हें मुख्य अतिथि भी बनाया। जिले में यह पहला अवसर था, जब किसी बैगा महिला को गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि बनाकर मंच पर बैठाया गया हो. कलेक्टर द्वारा लहरी बाई को स्टार ऑफ द मंथ सम्मान भी दिया गया। कलेक्टर ने उनका नाम स्कॉलरशिप के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के जोधपुर केंद्र को भी भेजा है। वे बताते हैं कि मिलेट्स के बीजों के साथ-साथ दूसरे किसानों की मदद से संवर्धन भी चल रहा है। जिले में मोटे अनाज बोवनी का रकबा और बढ़ाने की तैयारी भी तेज कर दी है।
उल्लेखनीय है की मिलेट्स उत्पादन में मध्यप्रदेश अभी देश में दूसरे नंबर पर है। पहला नंबर छत्तीसगढ़ का है। छत्तीसगढ़ की सीमा से ही लगा है मध्यप्रदेश का डिंडौरी जिला। ये जिला मिलेट्स उत्पादन में प्रदेश में पहले नंबर पर है।
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