अदालत ने यह निर्देश 16 वर्षीय बलात्कार पीड़िता द्वारा अपनी मां के माध्यम से दायर याचिका पर दिया।
हाईकोर्ट ने खारिज की महिला की एफ़आईआर
पीठ ने कहा कि यदि पति-पत्नी के बीच सुलह की उचित संभावना होती भी है, तो मामला पुलिस के पास ले जाकर इसे समाप्त कर लिया जाता है।
महिला ने गुजारा- भत्ते के रूप में साढ़े सात लाख की मांग की। स्त्रीधन वापस मांगा। हाई कोर्ट ने इसे मंजूर किया है।
कहा – हिंदू विवाह 'नाचने-गाने, खाने-पीने या वाणिज्यिक लेनदेन' का अवसर नहीं है।
बैंक में नौकरी होने के बावजूद खुद को बेरोजगार बताने वाली पत्नी के खिलाफ अभियोजन खारिज