इलाहाबाद हाईकोर्ट: महिला का शरीर उसका मंदिर,

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इलाहाबाद हाईकोर्ट: महिला का शरीर उसका मंदिर,
समझौते से नहीं हिला सकते उसकी नींव

इलाहाबाद हाईकोर्ट का कहना है कि महिला का शरीर उसका मंदिर है और पवित्रता उसकी नींव। इसे किसी भी कीमत पर हिलाया नहीं जा सकता। दुष्कर्म जैसे अपराध जीवन की गरिमामयी सांसों को दबा देते हैं। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने धर्मांतरण और दुष्कर्म के आरोपी की समझौते के आधार पर मुकदमा रद्द करने की मांग खारिज कर दी। यह याचिका रामपुर के स्वार थाना क्षेत्र निवासी तौफीक ने दाखिल की थी, जिसे न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान की अदालत ने कई तल्ख टिप्पणियों के साथ खारिज किया है। तौफीक पर आरोप है कि उसके जीजा मोहम्मद अयान ने फेसबुक पर राहुल के नाम से आईडी बनाई और युवती को प्रेमजाल में फंसाया। दुष्कर्म किया और फिर धर्मांतरण का प्रस्ताव नहीं मानने पर मारपीट की। इसमें तौफीक भी बराबर का सहयोगी था।

पीड़ित युवती ने सात जून 2021 को राहुल उर्फ मोहम्मद अयान, उसके साले तौफीक अहमद व मोहम्मद रियाज के खिलाफ दुष्कर्म व जबरन धर्मांतरण कराने की एफआईआर दर्ज कराई थी। आरोप लगाया था कि फेसबुक पर राहुल नाम के युवक से चैटिंग शुरू हुई। करीब सालभर बाद शादी के लिए राजी होने पर उसे नवाबनगर, रामपुर ले गया। वहां छह महीने रहने पर पता चला कि राहुल का असली नाम अयान है। यह जानकर पीड़िता ने शादी से इंकार किया तो अयान ने अपने साले तौफीक व रियाज संग मिलकर उसे पीटा। दुष्कर्म किया। चंगुल से भागी पीड़िता ने मुकदमा दर्ज करवाया। फेसबुक के जरिये दूसरी लड़कियों को फंसाने और जबरन धर्म परिवर्तन कराने का आरोप भी लगाया।

पुलिस ने मई 2021 में आरोप पत्र दाखिल किया, जिसके खिलाफ तौफिक ने हाईकोर्ट का रुख किया। कोर्ट ने समझौते की दलील को सिरे से खारिज कर दिया। कहा, हाईकोर्ट को समझौते के आधार पर मुकदमा रद्द करने का अधिकार है, लेकिन दुष्कर्म जैसे मामलों में समझौते की बात कल्पना से परे है। मौजूदा मामले में धर्म परिवर्तन आस्था के लिए नहीं, बल्कि विवाह का आधार बनाने या उससे बचने के उद्देश्य से किया गया था। इसे सद्भावनापूर्ण नहीं माना जा सकता। गैरकानूनी धर्मांतरण भी गंभीर अपराध है।

याची ने कहा-हो गया है समझौता, मर्जी से बदला धर्म

याची के अधिवक्ता ने दलील दी कि दोनों पक्षकारों के बीच 2023 में समझौता हो गया है। वह मर्जी से धर्म परिवर्तन कर अयान संग रह रही थी। लिहाजा, ट्रायल कोर्ट में चल रही आपराधिक कार्यवाही रद्द की जानी चाहिए।

राज्य सरकार की ओर से अपर शासकीय अधिवक्ता प्रमोद कुमार सिंह ने कहा कि दुष्कर्म व धर्मांतरण समाज के खिलाफ अपराध है। समझौता केवल निजी प्रकृति के मामलों में ही पोषणीय है। 

सन्दर्भ स्रोत : अमर उजाला

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