तेलंगाना हाईकोर्ट : पहली पत्नी से साबित पारंपरिक तलाक

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तेलंगाना हाईकोर्ट : पहली पत्नी से साबित पारंपरिक तलाक
के बिना धोखे से साथ रहना बलात्कार के समान

हैदराबाद अगर पहली पत्नी से तलाक लिए बिना दूसरी शादी की जाती है, तो वह शादी शुरू से ही अवैध मानी जाएगी। अगर दूसरी पत्नी को शादी से पहले झूठी जानकारी देकर यानी धोखे से सहमति ली गई तो यह बलात्कार माना जाएगा। ऐसी स्थिति में दूसरी पत्नी गुजारा भत्ते की हकदार भी है। तेलंगाना हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के एक फैसले के खिलाफ की गई अपील पर सुनवाई करते हुए जस्टिस मौसमी भट्टाचार्य और जस्टिस बी.आर. मधुसूदन राव की बेंच ने यह फैसला दिया। हैदराबाद फैमिली कोर्ट ने दूसरी पत्नी के गुजारा भत्ता की मांग को खारिज कर दिया था।

तलाक दिए बिना की शादी

एक शख्स की दूसरी पत्नी ने हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 11 (अवैध विवाह), धारा 5 (हिंदू विवाह के लिए शर्तें) और धारा 25 (स्थायी गुजारा भत्ता) के तहत याचिका दायर की थी। कोर्ट को महिला ने बताया कि उसके पति ने पहली पत्नी को तलाक दिए बिना उससे शादी की। इस शादी के लिए पति ने झूठ भी बोला और बताया कि वह कानूनी तौर से तलाकशुदा है। दूसरी पत्नी ने उससे एक करोड़ रुपये का गुजारा भत्ता मांगा था। फैमिली कोर्ट ने महिला की शादी रद्द कर दी थी और उसके गुजारा भत्ता की मांग को खारिज कर दिया था।

हाईकोर्ट में खुली कई परतें

जब यह मामला हाईकोर्ट में पहुंचा तो केस की कई परतें खुलीं। इसके बाद हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के फैसले को पलट दिया। पति कोर्ट में यह साबित नहीं कर पाया कि उसने अपनी पहली पत्नी से कानूनी तौर या रीति रिवाजों के हिसाब से तलाक लिया था। उसकी पहली पत्नी पिछले 14 साल से कोमा में है, मगर जीवित है इसलिए हिंदू विवाह अधिनियम के तहत दूसरी शादी कानूनी रूप से अवैध है। उसने दूसरी शादी उसने धोखे से की है। इस कारण दूसरी शादी अवैध होने के बावजूद पत्नी को गुजारा भत्ता मिलना चाहिए।

जस्टिस मौसमी भट्टाचार्य और जस्टिस बी.आर. मधुसूदन राव की बेंच ने यह फैसला देते हुए कहा कि दूसरी पत्नी से संबंध बनाते समय पति को पता था कि उसकी पहली पत्नी जिंदा है। दूसरी पत्नी सहमति के विश्वास पर ही शारीरिक संबंध बनाए। दूसरी पत्नी को उसने धोखे से यह विश्वास दिलाया कि वह कानूनी रूप से उसका पति है, इसलिए वह बलात्कार का दोषी है। हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि ट्रायल कोर्ट ने पत्नी की याचिका को खारिज करने में गलती की। उसे पत्नी की तरह गुजारा भत्ता पाने का अधिकार है। कोर्ट ने पति को पत्नी को उचित गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया है।

सन्दर्भ स्रोत : विभिन्न वेबसाइट

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