तेलंगाना हाईकोर्ट ने एक मामले में अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि अगर कोई इंसान शादी का वादा करता है और बाद में उस वादे से मुकर जाता है, तो इसे सिर्फ “धोखा” कहा जा सकता है। लेकिन यह अपने आप में कोई कानूनी अपराध नहीं है। यानी अगर कोई वादा करने के बाद शादी नहीं करता, तो उसके खिलाफ सीधे-सीधे केस दर्ज नहीं हो सकता।
अगर धोखा देने की मंशा हो, तब मामला बनता है
कोर्ट ने ये भी साफ कहा कि अगर शादी का वादा करते समय ही धोखा देने की मंशा थी, यानी इरादा पहले से गलत था, और इसका कोई पक्का सबूत भी हो, तो यह मामला अपराध की श्रेणी में आ सकता है। यानी पीड़ित को यह साबित करना होगा कि शुरुआत से ही वादे के पीछे गलत नीयत थी। बिना सबूत के कोई भी कार्रवाई नहीं हो सकती।
हैदराबाद के जीवन रेड्डी की याचिका पर सुनवाई
यह फैसला करमनघाट, हैदराबाद के रहने वाले राजापुरम जीवन रेड्डी की याचिका पर सुनाया गया। साल 2019 में करकल्ला पद्मिनी रेड्डी नाम की महिला ने जीवन रेड्डी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि जीवन ने साल 2016 में उनसे शादी करने का वादा किया था और उनके माता-पिता को भी भरोसे में लिया था, लेकिन बाद में शादी नहीं की।
शिकायत के आधार पर दर्ज हुआ केस
पद्मिनी रेड्डी की शिकायत के आधार पर पुलिस ने जीवन रेड्डी के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया और केस हैदराबाद के एलबी नगर कोर्ट में चलने लगा। जांच के दौरान जीवन रेड्डी ने इस मामले को खत्म करवाने के लिए हाईकोर्ट में याचिका डाली। उनकी मांग थी कि यह मामला कानूनी तौर पर टिकता नहीं है, इसलिए इसे रद्द किया जाए।
कोर्ट ने जांच पर लगाई रोक, लेकिन रखा विकल्प खुला
हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद मामले की जांच पर फिलहाल रोक लगा दी है। लेकिन कोर्ट ने ये भी कहा कि अगर भविष्य में यह साबित हो जाए कि वादा करते वक्त जीवन रेड्डी की नीयत ही गलत थी, तो मामला फिर से खुल सकता है और उसे धोखाधड़ी माना जा सकता है।
धोखाधड़ी साबित करने के लिए क्या होना चाहिए
कोर्ट ने यह भी बताया कि सिर्फ शादी का वादा तोड़ना ही काफी नहीं है। अगर धोखाधड़ी साबित करनी है, तो यह दिखाना होगा कि इस वादे से पीड़ित को कोई शारीरिक, मानसिक या आर्थिक नुकसान हुआ है। इसके अलावा यह भी जरूरी है कि उस व्यक्ति की मंशा से किसी की इज्जत को नुकसान पहुंचा हो।
इस मामले में धोखाधड़ी साबित नहीं हो सकी
केस में जब जीवन रेड्डी ने शादी का वादा किया था, तब ऐसा कोई सबूत नहीं मिला कि उनका इरादा पहले से धोखा देने का था। इसलिए हाईकोर्ट ने कहा कि उनके खिलाफ अभी कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती। यह फैसला देश के बाकी हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसलों से मेल खाता है।
सन्दर्भ स्रोत : विभिन्न वेबसाइट
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