नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने एक नाबालिग बच्चे की इच्छा जानने के बाद उसकी मां के साथ रहने की अवधि बढ़ाने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि बच्चा पिता के साथ रहता है। उससे जब मां के साथ छह दिन के बजाय अधिक समय रहने को लेकर इच्छा पूछी गई तो उसने साफ इनकार कर दिया।
जस्टिस नीना बंसल कृष्णा की बेंच ने इस मामले में नाबालिग की इच्छा को तरजीह देते हुए कहा कि कानून का मकसद बाल कल्याण को प्राथमिकता देना है। बच्चे ने स्वयं कहा है कि वह साढ़े 14 साल का है और दसवीं कक्षा का छात्र है। वह ट्यूशन लेता है। वह अपनी शिक्षा में बाधा नहीं चाहता, इसलिए बेंच निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखते हुए मां की याचिका को खारिज करती है।
क्या है पूरा मामला
दरअसल, इस मामले में बच्चे की मां ने दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर कहा था कि वह अपने पति से अलग रहती है। उसका बेटा पति के साथ ही रहता है। निचली अदालत ने छह दिन बच्चे को उसके साथ रहने की अनुमति दी है, लेकिन ग्रीष्मावकाश चल रहा है, इसलिए बेटे को अधिक समय तक साथ रहने की अनुमति दी जाए। महिला ने अपनी याचिका में यह भी शिकायत की कि जब बेटा उसके साथ होता है तो उसका पति रोजाना 14 से 15 बार फोन कर बच्चे का ध्यान भटकाता है। साथ ही उनके साथ रहने के समय में व्यवधान डालता है। इस पर पति की तरफ से बेंच को आश्वस्त किया गया कि वह बच्चे के मां के साथ रहने के दौरान दिन में एक बार कॉल करेगा। इसके अतिरिक्त वह मां-बेटे के एक साथ रहने के समय में कोई व्यवधान उत्पन्न नहीं करेगा। हाईकोर्ट ने इस मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद याचिका का निपटारा कर दिया।
संदर्भ स्रोत : हिन्दुस्तान
Comments
Leave A reply
Your email address will not be published. Required fields are marked *