केरल हाईकोर्ट : केवल कानूनी उत्तराधिकारी ही

blog-img

केरल हाईकोर्ट : केवल कानूनी उत्तराधिकारी ही
नि:संतान बुजुर्ग के भरण-पोषण के लिए उत्तरदायी

केरल हाईकोर्ट ने नि:संतान वरिष्ठ नागरिक के भरण-पोषण मामले में अहम फैसला सुनाया है। हाई कर्ट ने कहा कि केवल कानूनी उत्तराधिकारी ही नि:संतान वरिष्ठ नागरिक का भरण-पोषण करने के लिए उत्तरदायी है। 

किसी वरिष्ठ नागरिक की संपत्ति पर कब्जा अपने आप में भरण-पोषण का दायित्व नहीं बनाता, जब तक कि वह व्यक्ति लागू पर्सनल लॉ के तहत कानूनी उत्तराधिकारी न हो। हाईकोर्ट ने मेंटीनेंस ट्रिब्युनल और अपीलीय ट्रिब्युनल का फैसला खारिज करते हुए कहा कि अपीलकर्ता महिला बुआ सास (पति की बुआ) के भरण-पोषण के लिए उत्तरदायी नहीं है। 

मेंटीनेंस ट्रिब्युनल और अपीलीय ट्रिब्युनल ने माता-पिता व वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण कानून, 2007 के तहत महिला को बुआ सास का भरण-पोषण करने के लिए जिम्मेदार ठहराया था क्योंकि नि:संतान वरिष्ठ नागरिक की संपत्ति उसके पास थी। 

आखिर क्या है पूरा मामला? 

मामला यह है कि अपीलकर्ता महिला के पति की अविवाहित व नि:संतान बुआ ने अपनी संपत्ति भतीजे को उपहार में दे दी थी और भतीजे की मृत्यु के बाद वह संपत्ति उसकी पत्नी के पास चली गई थी। ऐसे में भतीजे की मृत्यु के बाद बुजुर्ग महिला ने वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण कल्याण कानून के तहत भतीजे की पत्नी को भरण-पोषण का आदेश देने की मांग की थी। 

हाईकोर्ट ने महिला की याचिका पर क्या कहा? 

केरल हाईकोर्ट के न्यायाधीश सतीश निनान और पी. कृष्ण कुमार की खंडपीठ ने बुआ सास के भरण-पोषण की जिम्मेदारी डालने वाले आदेश के विरुद्ध दाखिल महिला की याचिका स्वीकार करते हुए कहा कि उसे पति की बुआ का भरण-पोषण करने का आदेश नहीं दिया जा सकता क्योंकि वह माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण अधिनियम की धारा 2(जी) के मुताबिक 'रिश्तेदार' की श्रेणी में नहीं आएगी। 

सन्दर्भ स्रोत : विभिन्न वेब सा इट 

Comments

Leave A reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *



मप्र हाईकोर्ट : क्रूरता की श्रेणी में आता
अदालती फैसले

मप्र हाईकोर्ट : क्रूरता की श्रेणी में आता , है बीमारी छुपाकर विवाह करना

शादी के बाद पता चला पत्‍नी को मिर्गी के दौरे आते हैं, तलाक मंजूर

मुबारत पद्धति से लिया तलाक नामंजूर
अदालती फैसले

मुबारत पद्धति से लिया तलाक नामंजूर , मप्र हाईकोर्ट ने दोबारा सुनवाई के दिए निर्देश

सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि पत्नी को पढ़ाई के लिए विदेश जाना है। इसलिए कुटुंब न्यायालय को शीघ्रता से सुनवाई के...

सुप्रीम कोर्ट : मां की जाति ही तय करेगी बच्चे की पहचान
अदालती फैसले

सुप्रीम कोर्ट : मां की जाति ही तय करेगी बच्चे की पहचान

CJI सूर्यकांत ने कहा-बदलते समय के साथ माता की जाति के आधार पर जाति प्रमाण पत्र क्यों नहीं जारी किया जाना चाहिए?

सुप्रीम कोर्ट : तलाक देने से पहले
अदालती फैसले

सुप्रीम कोर्ट : तलाक देने से पहले , वैवाहिक रिश्ता टूटने के देने होंगे सबूत

कोर्ट ने कहा कि बच्चों की मौजूदगी में यह सवाल और भी संवेदनशील हो जाता है, क्योंकि तलाक का सबसे ज्यादा असर उन पर ही पड़ता...

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीड़िता से शादी
अदालती फैसले

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीड़िता से शादी , करने पर बलात्कार का आरोप किया रद्द

कहा- आरोपी से पीड़िता ने रचाई शादी, अब बच्चे के साथ जी रहे खुशहाल जीवन.अपराध सिद्ध होने की कम संभावना

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट : अविवाहित बेटी को पिता
अदालती फैसले

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट : अविवाहित बेटी को पिता , से गुजारा भत्ता मांगने का अधिकार

कोर्ट ने कहा- बेटी की जिम्मेदारी से पीछे नहीं हट सकता पिता