कबड्डी में देश का गौरव बनीं इंदौर की उज्जवला गड़वंशी

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कबड्डी में देश का गौरव बनीं इंदौर की उज्जवला गड़वंशी

इंदौर। कबड्डी जैसे पारंपरिक भारतीय खेल को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान दिलाने वाली इंदौर की नंदलालपुरा निवासी उज्ज्वला गड़वंशी ने अपने संघर्ष, समर्पण और प्रतिभा से देश और प्रदेश का नाम रोशन किया है।  सेकंड एशियन बीच गेम्स 2010, मस्कट (ओमान) में भारतीय टीम की कोच के रूप में स्वर्ण पदक दिलाया और 11वें साउथ एशियन गेम्स (ढाका) में बतौर खिलाड़ी गोल्ड मेडल जीतकर देश का मान बढ़ाया। 

शुरुआती कदम से अंतरराष्ट्रीय मंच तक 

उज्जवला ने वर्ष 1992 में सीनियर नेशनल कबड्डी प्रतियोगिता से अपने खेल करियर की शुरुआत की। 1993 से 2010 के बीच अकोला, सेलम, मुंबई और हरियाणा आदि स्थानों पर हुई प्रतियोगिताओं में भाग लेकर अपने खेल कौशल को और निखारा। वर्ष 2005 में पहली बार अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए चयनित किया गया और 2010 में ढाका में हुए साउथ एशियन गेम्स में उन्हें देश का प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिला। वहां उन्होंने बतौर ऑलराउंडर और सबसे वरिष्ठ खिलाड़ी देश के लिए स्वर्ण पदक जीता। इसी वर्ष मस्कट में हुई सेकंड एशियन बीच गेम्स में वे भारतीय महिला टीम की कोच नियुक्त हुईं और टीम ने उनके नेतृत्व में स्वर्ण पदक जीता।

व्यक्तिगत जीवन और खेल में वापसी

2011 में विवाह और 2013 में बेटी के जन्म के बाद उज्जवला एक वर्ष तक खेल से दूर रहीं, लेकिन 2014 में शानदार वापसी की और मध्यप्रदेश टीम का सीनियर नेशनल में प्रतिनिधित्व किया। उनके पति प्रॉमिस गड़वंशी ने उनके खेल करियर में हमेशा सहयोग दिया।

प्रशिक्षण और कोचिंग में सक्रिय भूमिका 

उज्जवला NIS (पटियाला) से कबड्डी और खो-खो में डिप्लोमा कर देश की पहली महिला बनीं जिन्होंने 30 वर्षों में टॉप रैंक हासिल की। 2011 तक खेल एवं युवा कल्याण विभाग में जिला प्रशिक्षक रहीं। वर्तमान में मध्यप्रदेश परिवहन विभाग में सहायक वर्ग-3 पद पर कार्यरत हैं और 2023 से मध्यप्रदेश सिविल सर्विसेस कबड्डी प्रतियोगिता में खिलाड़ी और प्रशिक्षक रूप में भाग ले रही हैं। फिलहाल कोच और ट्रेनर के रूप में युवा खिलाड़ियों को प्रशिक्षण दे रही हैं।

तीन दशकों से कबड्डी के मैदान में सक्रिय उज्जवला गड़वंशी ने न सिर्फ एक सफल खिलाड़ी, कोच और अधिकारी के रूप में पहचान बनाई है, बल्कि उन्होंने यह भी सिद्ध किया है कि पारिवारिक दायित्वों और खेल जीवन में संतुलन बनाकर भी सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचा जा सकता है।

सम्मान और पुरस्कार

• 1997: मध्यप्रदेश सरकार का बेस्ट प्लेयर अवॉर्ड

• 2005: मालवा खेल अवॉर्ड

• 2010: विक्रम अवॉर्ड — मध्यप्रदेश सरकार का सर्वोच्च खेल सम्मान

• प्रदेश की पहली महिला खिलाड़ी  जिन्हें दो बार बेस्ट प्लेयर घोषित किया गया

 

खेल में उपलब्धियां

•  1992- सीनियर नेशनल कबड्डी प्रतियोगिता में चयन

•  1993-2010- सीनियर नेशनल प्रतियोगिताओं में भागीदारी

•  1995- राष्ट्रीय महिला प्रतियोगिता, भठिंडा में कांस्य पदक

•  2000- सर्कल कबड्डी प्रतियोगिता पंजाब में कांस्य पदक, तीन फेडरेशन कप में भागीदारी

•  2010- 11वें साउथ एशियन गेम्स ढाका में देश का प्रतिनिधित्व

•  2010- सेकंड एशियन बीच गेम्स मस्कट में प्रशिक्षक और स्वर्ण पदक

•  2014- मध्यप्रदेश टीम का प्रतिनिधित्व

•  2023- से मध्यप्रदेश सिविल सर्विसेस कबड्डी प्रतियोगिता में खिलाड़ी और प्रशिक्षक

•  2006-07- एनआईएस (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स), पटियाला से कबड्डी और खो-खो में डिप्लोमा कर प्रथम स्थान

•  2007-2011: खेल एवं युवा कल्याण विभाग में जिला प्रशिक्षक

सन्दर्भ स्रोत : दैनिक भास्कर ]

संपादन : मीडियाटिक डेस्क

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