सुप्रीम कोर्ट : बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल न

blog-img

सुप्रीम कोर्ट : बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल न
करने पर संपत्ति से बेदखल हो सकते हैं बच्चे

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 80 वर्षीय एक व्यक्ति को राहत देते हुए हाई =कोर्ट के फैसले को रद्द किया जिसमें ट्रिब्यूनल के आदेश को चुनौती दी गई थी। हालांकि सर्वोच्च अदालत ने यह भी कहा कि हाईकोर्ट ने संभवत: वरिष्ठ नागरिक को सुविधा प्रदान करने के फेर में 59 वर्षीय बेटे के पक्ष में फैसला सुनाया था, जो कि गलत है। 

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि 'माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के रखरखाव और कल्याण अधिनियम' के तहत रखरखाव ट्रिब्यूनल को वरिष्ठ नागरिक की संपत्ति से बच्चे या रिश्तेदार को निष्कासित करने का आदेश देने का अधिकार है, यदि बुजुर्ग की देखभाल करने की जिम्मेदारी का उल्लंघन किया गया हो।

कानून बुजुर्गों की दुर्दशा को दूर करने के लिए

जस्टिस विक्रम नाथ और संदीप मेहता की पीठ ने आदेश में पिता की याचिका पर यह आदेश पारित किया, जिसमें उन्होंने अप्रैल में बॉम्बे हाईकोर्ट के एक आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें एक बेटे को अपने पिता को मुंबई स्थित दो संपत्तियों का कब्जा सौंपने का आदेश रद करने को कहा गया था। पीठ ने 2007 के अधिनियम का उल्लेख करते हुए कहा कि यह कानून बुजुर्गों की दुर्दशा को दूर करने व उनकी देखभाल और सुरक्षा के लिए बनाया गया था।

संपत्तियों को खाली करने के लिए समय मांगा

पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट ने बेटे की याचिका को ‘पूर्णत: असंगत आधार’ पर स्वीकार किया। बेटे के लिए उपस्थित वकील ने सुप्रीम कोर्ट से संपत्तियों को खाली करने के लिए समय मांगा। पीठ ने उसे 30 नवंबर, 2025 तक संपत्तियों को खाली करने का आश्वासन देने के लिए दो सप्ताह का समय दिया और इस दौरान ट्रिब्यूनल के आदेश को लागू नहीं किया जाएगा। यदि निर्धारित समय में आश्वासन नहीं दिया गया, तो अपीलकर्ता (पिता) के लिए आदेश को तुरंत लागू कराने का अधिकार होगा और अंतरिम सुरक्षा तुरंत समाप्त हो जाएगी।

बुजुर्ग माता-पिता के लिए तीन हजार रुपये मासिक रखरखाव का आदेश

ट्रिब्यूनल ने बुजुर्ग माता-पिता के लिए तीन हजार रुपये मासिक रखरखाव का भी आदेश दिया। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट ने इस धारणा पर कार्य किया कि बेटा भी एक वरिष्ठ नागरिक है। रिकॉर्ड से पता चलता है कि अपीलकर्ता (पिता) ने 12 जुलाई, 2023 को ट्रिब्यूनल के समक्ष एक आवेदन दायर किया था और उस समय प्रतिवादी (बेटे) की आयु 59 वर्ष थी।''

जुलाई, 2023 में अपीलकर्ता और उनकी पत्नी ने संपत्तियों से निवासियों के निष्कासन और रखरखाव के लिए एक आवेदन दायर किया था और पिछले वर्ष जून में ट्रिब्यूनल ने बेटे को दोनों संपत्तियों का कब्जा पिता को सौंपने का निर्देश दिया था।

सन्दर्भ स्रोत : विभिन्न वेबसाइट

 

Comments

Leave A reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *



सुप्रीम कोर्ट  : वैवाहिक विवादों में आपराधिक
अदालती फैसले

सुप्रीम कोर्ट  : वैवाहिक विवादों में आपराधिक , शिकायतों की गहन जांच की आवश्यकता

सुप्रीम कोर्ट ने दहेज उत्पीड़न कानून के दुरुपयोग पर जताई चिंता, देवर के विरुद्ध दहेज उत्पीड़न का मामला खारिज किया

दिल्ली हाईकोर्ट : माता-पिता के जीवित रहते
अदालती फैसले

दिल्ली हाईकोर्ट : माता-पिता के जीवित रहते , पोते-पोती को संपत्ति का हिस्सा नहीं

महिला की ओर से दायर दीवानी मुकदमे को खारिज कर दिया। इसमें उसने अपने दिवंगत दादा के स्वामित्व वाली पश्चिमी दिल्ली की एक स...

कलकत्‍ता हाईकोर्ट : पत्‍नी कमाऊ, तो भी गुजारे भत्‍ते की हकदार
अदालती फैसले

कलकत्‍ता हाईकोर्ट : पत्‍नी कमाऊ, तो भी गुजारे भत्‍ते की हकदार

कोर्ट ने कहा कि तलाक के बाद महिला का खर्च उठाना उसके पूर्व पति का सामाजिक, नैतिक व कानूनी दायित्व है। इससे बचा नहीं जा स...

बॉम्बे हाईकोर्ट-औरंगाबाद बेंच : व्याभिचार के आरोप
अदालती फैसले

बॉम्बे हाईकोर्ट-औरंगाबाद बेंच : व्याभिचार के आरोप , से महिला पेंशन से वंचित नहीं हो सकती

बेंच ने बताया कि पत्नी को पेंशन के लाभ से तभी रोका जा सकता है जब वह व्याभिचार के आधार पर कानूनी रूप से अलग हो गई हो।