बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक विवाह को रद्द करते हुए कहा कि यदि कोई जीवनसाथी विवाह से पहले यह तथ्य छिपाता है कि वह असाध्य बीमारी से पीड़ित है, तो यह दूसरे जीवनसाथी के लिए हिंदू विवाह अधिनियम के तहत तलाक लेने का आधार हो सकता है। जस्टिस नितिन सुर्यवंशी और जस्टिस संदीपकुमार मोरे की खंडपीठ ने उस पति की अपील पर फैसला सुनाया, जिसकी तलाक याचिका को फैमिली कोर्ट ने 17 अगस्त 2023 को खारिज कर दिया था। पति ने आरोप लगाया था कि पत्नी जन्म से ‘सेरेब्रल पाल्सी’ से पीड़ित है, जिसके कारण वह अक्सर असामान्य व्यवहार करती है और सामान्य घरेलू कार्य नहीं कर पाती।
फैमिली कोर्ट ने कहा था कि पत्नी ने सगाई और विवाह के दिन सामान्य व्यवहार किया था। लेकिन हाईकोर्ट ने माना कि बीमारी की जानकारी छिपाना पति की सहमति को प्रभावित करने वाला 'धोखा' है और यह विवाह शून्य घोषित करने का आधार है।
न्यायालय ने चिकित्सक की गवाही पर भरोसा किया, जिसमें बताया गया कि ‘सेरेब्रल पाल्सी’ लाइलाज है। कोर्ट ने कहा कि हालांकि यह वैवाहिक जीवन या यौन संबंधों में बाधा नहीं डालती, लेकिन बीमारी छिपाई गई, तो पति के लिए यह निर्णय बदलने का कारण हो सकता था।
खंडपीठ ने कहा कि पत्नी ने विवाह के बाद केवल 6-7 महीने ही पति के साथ सहवास किया और उसके बाद से वह मायके में रह रही है। इस आधार पर कोर्ट ने फैमिली कोर्ट का आदेश रद्द किया और पति को तलाक की अनुमति दी। हालांकि, अदालत ने भरण-पोषण (alimony) और अन्य राहतों पर कोई टिप्पणी नहीं की।
सन्दर्भ स्रोत : विभिन्न वेबसाइट
Comments
Leave A reply
Your email address will not be published. Required fields are marked *