कचरा कैफे के जरिये प्लास्टिक मुक्त

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कचरा कैफे के जरिये प्लास्टिक मुक्त
जीवन शैली अपनाने को प्रेरित कर रहीं अंजीता 

छाया : अंजीता सबलोक के फेसबुक पेज से 

भोपाल। एक समय केवल अपने परिवार की देखभाल तक सीमित एक गृहिणी अब कई लोगों के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं। यह गृहिणी है अंजीता सबलोक, जिसने तानों और सवालों के बीच अपने सपनों को पंख दिए। लोग कहते थे सब कुछ अच्छा है, फिर समाज सेवा क्यों? लेकिन पति ने उनका मन समझा और कहा लोग बच्चों के जन्म पर एफडी करवाते हैं, अब वक्त है तुम्हारे सपनों में निवेश करने का। यही यह क्षण था जिसने अंजीता की ज़िन्दगी बदल दी। 

वर्ष 2011 में अंजीता ने मन्नत सोशल वेलफेयर सोसाइटी की स्थापना की और समाजसेवी के क्षेत्र में पर कदम रखा। शुरुआत में चुनौतियां आईं, पर वक्त के साथ सब संभलता गया। दो बच्चों की मां अंजीता ने बेटी के जन्म के तीन साल बाद सामाजिक  कार्यों के लिए समय निकालना शुरू किया। वे कहती हैं कि अगर परिवार साथ दे तो कोई सपना अधूरा नहीं रहता। समाज की भलाई के लिए जो भी कर सकती हूं, वह करूंगी। 

कचरा कैफे - एक अनोखा नवाचार 

नगर निगम के साथ मिलकर अंजीता ने कचरा कैफे शुरू किया - पहले 10 नंबर मार्केट में और अब बोट क्लब पर। यहां लोग घर का कबाड़ देकर मनचाहा खाद्य या पेय पदार्थ और स्वयं सहायता समूह द्वारा निर्मित उत्पाद प्राप्त कर सकते हैं। इस पहल से लोग न केवल कचरा अलग करने की आदत सीखते हैं, बल्कि इकहरे इस्तेमाल वाले (सिंगल यूज़) प्लास्टिक फ्री जीवन शैली अपनाने के लिए प्रेरित भी होते हैं। 

कचरा कैफे का मकसद है लोगों की कचरा अलग करने और प्लास्टिक रहित  जीवनशैली अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना। यहां जमा कबाड़ को सही ढंग से पुनर्चक्रण के लिए भेजा जाता है, जिससे शहर स्वच्छ और सुंदर बना रहे। अजीता कहती है, हम न केवल कचरे का प्रबंधन सिखा रहे है बल्कि एक ऐसा विकल्प भी दे रहे है जिससे लोग कचरा उत्पादन कम कर सकें। 

दो आंगनबाड़ियों को ले रखा है गोद 

अजीता ने दो आंगनबाड़ी बाबा नगर-शाहपुरा   और सलैया गोद ले रखी है। यहां की छोटी-बड़ी जरूरतों का ध्यान रखा जाता है। उन्होंने भोपाल का पहला आनंद केंद्र राज्य आनंद संस्थान विभाग। बाबा नगर में स्थापित किया। वह अपशिष्ट पृथक्करण प्रशिक्षण, स्कूलों और कॉलेज में स्वच्छता कार्यशालाएं और मासिक धर्म स्वच्छता मिशन चलाती है। अब तक 160 से अधिक किशोरिया सैनिटरी पैड, छोड़कर मानिक वर्म कप अपना चुकी है, जिससे मेडिकल वेस्ट में कमी आई है।

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